कानून के शिक्षा ढांचे की जरूरत

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कानून के शिक्षा ढांचे की जरूरत



डॉ. अनिल कुमार दीक्षित

कभी छिपा छिपा सा एक ठग अब खुलेआम सामने है। और, एक औसत भारतीय मोबाइल धारक रोजाना लगभग पांच से छह घंटे इस खतरे से जूझ रहा है। ऑनलाइन ठगी की घटनाएं बढ़ गई हैं, तमाम नई किस्म के अपराध हैं, लेकिन सरकार जागरूक करने का अपना जिम्मा ढंग से उठा नहीं पा रही। जरूरत है कानून की शिक्षा के एक ढांचे की, जो निचले स्तर से चले यानी बेसिक और माध्यमिक स्तर से। खासा लाभदायक होगा ये कदम, लाभों की मात्रा भी विशाल होगी।

देश में शिक्षा का जो इस समय ढांचा है, उसमें कानून की शिक्षा बिल्कुल अलग थलग है। आप 12वीं या स्नातक के बाद बीए एलएलबी या एलएलबी करना चाहते हैं तो आपको कानून पढ़ाया जाता है। और वह भी इतना आसान नहीं है, या तो आपको दोयम दर्जे के कॉलेज मिलेंगे जहां शिक्षक नहीं होंगे और पढ़ाया नहीं जाएगा लेकिन, एग्जाम में शॉर्टकट पढ़ाई करके कुछ उत्तर याद करके आप वकील बन जाएंगे। अच्छी शिक्षा प्राप्त हो गई तो सही मायने में वकील बनेंगे। कहने में गुरेज नहीं कि देश में उच्च शिक्षा का हाल बेहद खराब है, या यूं कहिए कि काम किसी तरह चल रहा है। और इसीलिए हम कानून के प्रति एक जागरूकता पैदा नहीं कर पा रहे। कदम कदम पर चुनौतियां हैं। हर हाथ में मोबाइल है और दूसरी ओर, हजारों लाखों गुना ठग तैयार बैठे हैं कि आप चूकें और वो ठग लें। इसी तरह ऑनलाइन दुनिया में जो बहुत कुछ गलत हो रहा है, उससे हम पीड़ित होते जा रहे हैं। इसी तरह रोजाना की जिंदगी में तमाम छोटे बड़े अपराध या तो अनदेखे किए जा रहे हैं या वह रिपोर्ट नहीं हो रहे। या तो संकट है, या हम किसी तरह बच पा रहे हैं और या फिर हम, त्रस्त होने के बाद भी कुछ कर नहीं पा रहे।

तो इसका हल क्या है? सरकार सोच क्यों नहीं रही? क्यों नहीं, प्राथमिक शिक्षा के तंत्र में भी कानूनी कानून की पढ़ाई अनिवार्य कर दी जाती। थोड़ा थोड़ा पढ़ाइए, तभी तो सही मायने में सशक्त नागरिक बना पाएंगे आप। बहुत लाभ हैं इसके। कानूनी शिक्षा से छात्रों में न केवल उनके अधिकारों की जानकारी बढ़ती है, बल्कि उन्हें उनके कर्तव्यों के प्रति भी सचेत किया जाता है। इससे वे न केवल अधिकारों का दावा करना सीखते हैं, बल्कि एक जिम्मेदार नागरिक के रूप में भी विकसित होते हैं। हम जानते हैं कि जैसे-जैसे समाज अधिक जटिल होता जा रहा है, सामाजिक और न्यायिक समस्याएं भी बढ़ रही हैं। ऐसे में, कानूनी शिक्षा से युवाओं को इन समस्याओं को पहचानने और उनके समाधान के लिए सोचने की क्षमता मिलती है। कानून की समझ व्यक्तियों को उनके खिलाफ होने वाले अन्याय और शोषण से बचाव के लिए सशक्त बनाती है। यह विशेषकर महिलाओं, बच्चों और समाज के कमजोर वर्गों के लिए ज्यादा महत्वपूर्ण है। हम भ्रष्टाचार के पीड़ित हैं। भ्रष्टाचार और अनैतिक आचरण अक्सर कानूनी अज्ञानता का फायदा उठाते हैं। कानूनी शिक्षा से नागरिकों को इनके खिलाफ खड़े होने की ताकत मिलती है।

शिक्षा से कानूनी प्रक्रियाओं की समझ आ सकती है, जिससे वे विभिन्न कानूनी स्थितियों में अपनी या अपने परिवार की सहायता कर सकें। फायदे और भी हैं। बेसिक शिक्षा में ही विद्यार्थियों में संघर्ष समाधान की क्षमताएं विकसित हो जाएंगी और सीख पाएंगे कि कैसे मतभेदों को बातचीत, मध्यस्थता और विवेकपूर्ण तरीकों से हल किया जा सकता है। कानूनी जानकारी विद्यार्थियों को अपने अधिकारों को जानने और उनकी रक्षा करने में सक्षम बनाती है। इससे उन्हें अपने खिलाफ होने वाली किसी भी अन्यायपूर्ण गतिविधि का सामना करने में मदद मिलेगी। डिजिटल युग में, कानूनी शिक्षा विद्यार्थियों को साइबर अपराध और इंटरनेट के नियमों की बेहतर समझ प्रदान कर सकती है, जो उन्हें ऑनलाइन सुरक्षित रखने में मदद करने का कदम साबित होगी। हम दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र हैं। पर क्या हम सही मायने में किसी समझ पा रहे हैं? यहां भी कानून के प्रति जागरूकता काम आएगी। एक लोकतांत्रिक समाज में, कानून का ज्ञान नागरिकों को अधिक सम्मिलित और सक्रिय बनाता है, जिससे वे राजनीतिक प्रक्रियाओं में बेहतर ढंग से भाग ले सकते हैं।

(लेखक लॉ प्रोफेसर हैं।)

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