आगरा, उत्तर प्रदेश: रविवार, 8 जून 2025, 2:24 PM।
सरकारी स्वास्थ्य तंत्र की घोर लापरवाही ने एक मासूम की जान ले ली। आगरा के जगनेर स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) पर रविवार को इलाज के अभाव में पांच वर्षीय बच्चे की मौत हो गई। परिजन बीमार बच्चे को लेकर जब अस्पताल पहुंचे तो वहां डॉक्टर नदारद थे, और फार्मासिस्ट ने भी रविवार को छुट्टी का हवाला देकर जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया। ऑक्सीजन समय पर न मिलने के कारण मासूम ने दम तोड़ दिया, जिसके बाद सीएचसी परिसर में ग्रामीणों ने भारी हंगामा किया।
लापरवाही पर फूटा ग्रामीणों का गुस्सा
बरिगमा बुजुर्ग, जगनेर निवासी तोताराम ने बताया कि रविवार सुबह उनके बच्चे की तबीयत बहुत खराब हो गई थी। वे उसे लेकर जगनेर सीएचसी पहुँचे, तो वहाँ मौजूद कर्मचारियों ने बताया कि आज रविवार होने के कारण अस्पताल बंद है और डॉक्टर भी मौजूद नहीं हैं। इस पर वे बच्चे को एक प्राइवेट डॉक्टर के पास ले गए। वहाँ डॉक्टर ने बच्चे की हालत बहुत खराब बताते हुए उसे तुरंत ऑक्सीजन की जरूरत बताई और सरकारी अस्पताल ले जाने की सलाह दी।
करीब साढ़े दस बजे वे फिर से सीएचसी पर पहुँचे, लेकिन वहाँ मौजूद कर्मचारियों ने वही पुरानी बात दोहराई कि डॉक्टर नहीं हैं और अस्पताल बंद है। जब परिजनों ने ज्यादा अनुरोध किया, तब कर्मचारियों ने बच्चे को ऑक्सीजन लगाई, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। बच्चे का शरीर निर्जीव हो चुका था और उसने दम तोड़ दिया।
बच्चे की मौत की खबर जैसे ही गाँव में फैली, परिजनों और ग्रामीणों का गुस्सा फूट पड़ा। लोगों ने सीएचसी जगनेर पर जमकर हंगामा किया और स्वास्थ्य कर्मियों की गैरमौजूदगी को लेकर नारेबाज़ी की। ग्रामीणों का आरोप है कि सीएचसी जगनेर जैसे केंद्र केवल सफेद हाथी बनकर रह गए हैं, जहाँ स्वास्थ्यकर्मी अक्सर गायब रहते हैं, और मरीजों को बेसहारा छोड़ दिया जाता है। इस दिल दहला देने वाली घटना ने एक बार फिर सवाल खड़े कर दिए हैं कि क्या देहात के गरीब नागरिकों के लिए सरकारी स्वास्थ्य सेवाएँ सिर्फ कागज़ों में ही ज़िंदा हैं?