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यूपी को मिला नया ‘पुलिस बॉस’: राजीव कृष्ण होंगे डीजीपी, प्रशांत कुमार को नहीं मिला सेवा विस्तार!

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लखनऊ, उत्तर प्रदेश: शनिवार, 31 मई 2025, देर शाम।

उत्तर प्रदेश को आखिरकार अपना नया पुलिस महानिदेशक (DGP) मिल गया है। 1991 बैच के वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी राजीव कृष्ण को प्रदेश का नया पुलिस प्रमुख नियुक्त किया गया है। शनिवार देर शाम शासन द्वारा उनके नाम पर आधिकारिक मुहर लगाई गई, जिसके साथ ही बीते एक सप्ताह से पुलिस और राजनीतिक गलियारों में वर्तमान डीजीपी प्रशांत कुमार के सेवा विस्तार को लेकर चल रही सभी अटकलों पर विराम लग गया। प्रशांत कुमार आज, 31 मई को अपने पद से रिटायर हो रहे हैं।

पिछले एक सप्ताह से इस बात की अटकलें बेहद जोर-शोर से चल रही थीं कि उत्तर प्रदेश सरकार प्रशांत कुमार को सेवा विस्तार दे सकती है। सूत्रों से मिली खबरों के अनुसार, ऐसी चर्चाएं भी थीं कि उनके विस्तार की घोषणा बिल्कुल अंतिम समय पर, शायद रिटायरमेंट के दिन ही, की जा सकती है। हालांकि, इन सभी अटकलों और उम्मीदों के उलट, मुख्यमंत्री कार्यालय से जारी आदेश में राजीव कृष्ण को प्रदेश का नया डीजीपी बनाए जाने का ऐलान किया गया, जिसने कई पर्यवेक्षकों को हैरान कर दिया। यह निर्णय राज्य के पुलिस नेतृत्व में एक महत्वपूर्ण और अपेक्षित बदलाव को दर्शाता है।

नवनियुक्त डीजीपी राजीव कृष्ण की छवि एक कर्मठ, अनुभवी और विश्वसनीय अधिकारी की रही है। वर्तमान नियुक्ति से पहले, वे डीजी विजिलेंस के महत्वपूर्ण पद पर कार्यरत थे। उनका करियर तीन दशक से अधिक लंबा रहा है, जिसमें उन्होंने पुलिस विभाग में कई अलग-अलग और चुनौतीपूर्ण भूमिकाओं को बखूबी संभाला है। उनकी गिनती उत्तर प्रदेश शासन के बेहद करीबी और भरोसेमंद अफसरों में होती है। अपनी नियुक्ति के समय तक, राजीव कृष्ण दोहरी जिम्मेदारियां निभा रहे थे; वे एक साथ डीजी इंटेलिजेंस और उत्तर प्रदेश पुलिस भर्ती एवं प्रोन्नति बोर्ड के चेयरमैन के पद पर भी कार्यरत थे। इन दो प्रमुख पदों पर उनकी मौजूदगी ने उन्हें पुलिस प्रशासन में एक मजबूत दावेदार के रूप में स्थापित किया था।

डीजीपी के चयन प्रक्रिया को लेकर भी कुछ दिनों से चर्चाएं थीं। राज्य सरकार ने पिछले वर्ष ‘पुलिस महानिदेशक, उत्तर प्रदेश (उत्तर प्रदेश के पुलिस बल प्रमुख) चयन एवं नियुक्ति नियमावली 2024’ को मंजूरी जरूर दी थी, लेकिन उसके तहत अब तक किसी भी चयन समिति का गठन नहीं किया गया था। ऐसी स्थिति में, यदि वर्तमान डीजीपी को सेवा विस्तार नहीं मिलता, तो 1991 बैच के अधिकारियों में सबसे वरिष्ठ और शासन के विश्वसनीय माने जा रहे राजीव कृष्ण को डीजीपी का पद दिए जाने की संभावना प्रबल थी। प्रशांत कुमार के सेवा विस्तार न मिलने के बाद, राजीव कृष्ण की नियुक्ति इसी परिदृश्य के अनुरूप हुई है।

राजीव कृष्ण की यह नियुक्ति उत्तर प्रदेश के पुलिस बल के लिए कई मायनों में महत्वपूर्ण मानी जा रही है। एक ऐसे अधिकारी जो खुफिया और भर्ती जैसे संवेदनशील विभागों का नेतृत्व कर रहे थे, अब राज्य के शीर्ष पुलिस पद पर होंगे। उनकी कार्यप्रणाली और प्राथमिकताओं पर सबकी नजरें होंगी, खासकर राज्य में कानून-व्यवस्था की चुनौतियों और आगामी चुनावों को देखते हुए। उनकी छवि एक ऐसे अधिकारी की है जो नियमों का पालन करते हैं और शासन के निर्देशों पर प्रभावी ढंग से काम करते हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि उनके नेतृत्व में यूपी पुलिस किस दिशा में आगे बढ़ती है और राज्य में अपराध नियंत्रण व सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करने के लिए क्या नई रणनीतियां अपनाई जाती हैं।

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