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यूपी के नए डीजीपी राजीव कृष्णा: बीवी IRS कमिश्नर, साला BJP MLA, सलहज IPS कमिश्नर

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लखनऊ, उत्तर प्रदेश: बुधवार, 4 जून 2025, सुबह 10:45 बजे।

उत्तर प्रदेश पुलिस में एक नए युग का सूत्रपात हो गया है। 1991 बैच के वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी राजीव कृष्णा ने उत्तर प्रदेश के नए कार्यवाहक पुलिस महानिदेशक (DGP) का पदभार ग्रहण कर लिया है, जो आईपीएस प्रशांत कुमार के सेवानिवृत्त होने के बाद उन्हें सौंपी गई एक महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है। राजीव कृष्णा स्वयं एक असाधारण अधिकारी हैं, जिन्होंने पहले ही प्रयास में सिविल सेवा परीक्षा क्रैक कर खाकी वर्दी पहनी, लेकिन उनके परिवार की पृष्ठभूमि भी उतनी ही प्रभावशाली और ‘रसूखदार’ है। उनका पूरा परिवार, जिसमें कई आईपीएस और आईआरएस अधिकारी शामिल हैं, देश और प्रदेश की सेवा में अपनी विशिष्ट पहचान रखता है।

एक प्रभावशाली पारिवारिक वृक्ष:

राजीव कृष्णा का परिवार वास्तव में सार्वजनिक सेवा के प्रति समर्पण का प्रतीक है, जहाँ हर सदस्य अपने-अपने क्षेत्र में सर्वोच्च पदों पर आसीन है:

  • उनके पिता, एच.के. मित्तल, सिंचाई विभाग में चीफ इंजीनियर जैसे प्रतिष्ठित पद पर अपनी सेवाएं दे चुके हैं, जो परिवार में प्रशासनिक सेवा की नींव को दर्शाता है।
  • उनकी बहन संयुक्त राज्य अमेरिका में एक सफल इंजीनियर हैं, जो परिवार की बौद्धिक और वैश्विक पहुंच को रेखांकित करती हैं।
  • उनकी जीवनसंगिनी, मीनाक्षी सिंह, स्वयं एक वरिष्ठ भारतीय राजस्व सेवा (IRS) की अधिकारी हैं। वह वर्तमान में लखनऊ में एक महत्वपूर्ण पद पर इनकम टैक्स कमिश्नर के रूप में तैनात हैं, जो उनकी प्रशासनिक क्षमता और आयकर विभाग में उनके महत्वपूर्ण योगदान को दर्शाता है।
  • राजीव कृष्णा के साले यानी मीनाक्षी सिंह के भाई, राजेश्वर सिंह, वर्तमान में लखनऊ के सरोजनी नगर से भारतीय जनता पार्टी (BJP) के कद्दावर विधायक हैं। राजनीति में आने से पहले, राजेश्वर सिंह ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) में एक तेज-तर्रार जॉइंट डायरेक्टर के रूप में अपनी विशिष्ट पहचान बनाई थी, जहाँ उन्होंने कई हाई-प्रोफाइल मामलों को संभाला था। उन्होंने वर्ष 2022 में राजनीति का रास्ता चुना और विधानसभा चुनाव में भारी जीत हासिल की।
  • उनकी ‘सरहज’ यानी राजेश्वर सिंह की पत्नी, लक्ष्मी सिंह, स्वयं एक प्रख्यात आईपीएस अधिकारी हैं और वर्तमान में गौतमबुद्धनगर की पुलिस कमिश्नर जैसे महत्वपूर्ण और संवेदनशील पद पर तैनात हैं। उनकी नियुक्ति प्रदेश की कानून व्यवस्था में एक महिला नेतृत्व के रूप में मील का पत्थर मानी जाती है।
  • इतना ही नहीं, राजीव कृष्णा की पत्नी मीनाक्षी सिंह की बड़ी बहन, आभा सिंह, पोस्टल सर्विस की एक सीनियर अधिकारी रही हैं और वर्तमान में वह मुंबई हाई कोर्ट में एक सफल वकील के रूप में अपनी प्रैक्टिस कर रही हैं। आभा सिंह के पति, वाईपी सिंह, भी भारतीय पुलिस सेवा (IPS) के एक पूर्व अधिकारी रहे हैं, जो इस परिवार में पुलिस सेवा की गहरी जड़ों को दर्शाता है।

आईआईटी रुड़की से शीर्ष पुलिसिंग तक का सफर:

राजीव कृष्णा का जन्म 26 जून 1969 को नोएडा (गौतमबुद्धनगर) में हुआ था। इंटरमीडिएट की पढ़ाई के बाद, उन्होंने वर्ष 1985 से 1989 तक प्रतिष्ठित रुड़की आईआईटी (भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान) से इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन में बी.ई. (बैचलर ऑफ इंजीनियरिंग) की डिग्री हासिल की। आईआईटी जैसे संस्थान से निकलने के बाद, जहाँ आमतौर पर युवा इंजीनियरिंग या कॉर्पोरेट जगत में करियर बनाते हैं, राजीव कृष्णा के मन में देश सेवा का दृढ़ निश्चय था। इस सपने को साकार करने के लिए उन्होंने अथक परिश्रम किया और अपने पहले ही प्रयास में देश की सबसे कठिन सिविल सेवा परीक्षा को सफलतापूर्वक क्रैक कर लिया। उन्हें 1991 बैच के एक युवा आईपीएस अधिकारी के रूप में उत्तर प्रदेश कैडर मिला, और उनकी पुलिस प्रशिक्षण केंद्र, मुरादाबाद से उनकी खाकी वर्दी की गौरवपूर्ण यात्रा की शुरुआत हुई।

22 साल की कम उम्र में खाकी वर्दी पहनने वाले राजीव कृष्णा आज करीब 34 साल का प्रभावशाली पुलिस कार्यकाल पूरा कर चुके हैं। उनकी कार्यशैली हमेशा से प्रशंसनीय, निष्पक्ष और अपराधियों के लिए आतंक रही है। उन्हें अपने शानदार करियर में कई बड़े सम्मानों से नवाजा गया है, जिनमें दो बार पुलिस मेडल ऑफ गैलेंट्री (PMG) (27 मार्च 2002 और 16 दिसंबर 2009 को उनकी असाधारण बहादुरी के लिए), दो बार राष्ट्रपति पुलिस पदक (PPM) (15 अगस्त 2007 और 26 जनवरी 2015 को उनकी उत्कृष्ट सेवा के लिए), और तीन बार डीजी कमांडेशन डिस्क (15 अगस्त 2018 को सिल्वर, 15 अगस्त 2019 में गोल्ड, और 15 अगस्त 2020 में प्लेटिनम) शामिल हैं।

जिम्मेदारियों का विस्तार और राष्ट्रीय सुरक्षा में योगदान:

राजीव कृष्णा ने अपने करियर की शुरुआत में बरेली, कानपुर और अलीगढ़ में एएसपी के रूप में अपनी सेवाएं दीं। इसके बाद, उन्हें 10 मार्च 1997 को पहली बार फिरोजाबाद जनपद के पुलिस मुखिया (पुलिस अधीक्षक) का दायित्व मिला। उन्होंने इटावा, मथुरा, फतेहगढ़, बुलंदशहर, नोएडा (गौतमबुद्धनगर), आगरा, लखनऊ और बरेली जैसे कई संवेदनशील और महत्वपूर्ण जिलों में एएसपी और एसएसपी (सीनियर सुपरिंटेंडेंट ऑफ पुलिस) के तौर पर ‘सुपीरियर पुलिसिंग’ की मिसाल पेश की, जहाँ उन्होंने अपराधियों पर प्रभावी ढंग से नकेल कसी और कानून व्यवस्था को सुदृढ़ किया।

उनकी कार्यक्षमता को देखते हुए, उत्तर प्रदेश में जब एंटी-टेररिज्म स्क्वाड (ATS) का गठन हुआ, तो राजीव कृष्णा इसके पहले डीआईजी (DIG) बने। उन्होंने मेरठ रेंज के आईजी (IG) और बाद में लखनऊ व आगरा जोन के एडीजी (ADG) के रूप में भी काम किया है, जहाँ उन्होंने बड़े क्षेत्रों की कानून व्यवस्था का सफलतापूर्वक प्रबंधन किया। अगस्त 2023 में उन्हें विजिलेंस विभाग का एडीजी बनाया गया, और जनवरी 2024 में डीजी पद पर पदोन्नति के बाद वे डीजी विजिलेंस बने। इसके अतिरिक्त, उन्होंने सीमा सुरक्षा बल (BSF) में आईजी ऑपरेशन के पद पर रहते हुए, भारत-पाकिस्तान और भारत-बांग्लादेश सीमा पर चार साल तक बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जहाँ उनकी अगुवाई में सेंसर बेस्ड बॉर्डर मैनेजमेंट सिस्टम जैसे अभिनव सुरक्षा कार्यक्रम लॉन्च किए गए। जम्मू-कश्मीर में भी आईजी बीएसएफ के तौर पर उन्होंने अपनी सेवाएं देकर देश की आंतरिक सुरक्षा में अमूल्य योगदान दिया है।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का अटूट भरोसा और डीजीपी पद तक का सफर:

अपनी ईमानदारी और असाधारण कार्यशैली के चलते राजीव कृष्णा ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का अटूट भरोसा जीता। हाल ही में, उत्तर प्रदेश में 60,224 पदों पर सिपाही की सीधी भर्ती का पेपर लीक होने के बाद प्रदेश में एक बड़ा संकट खड़ा हो गया था। इस संवेदनशील समय में, मुख्यमंत्री ने आईपीएस राजीव कृष्णा पर पूर्ण भरोसा जताया और उन्हें यूपी पुलिस भर्ती एवं प्रोन्नति बोर्ड का अध्यक्ष बनाया गया। उन्होंने इस चुनौती को अत्यंत ‘सुपीरियर’ तरीके से संभाला और सिपाही भर्ती के एग्जाम को सफलतापूर्वक संपन्न कराकर अपनी प्रशासनिक क्षमता और दक्षता का लोहा मनवाया।

जब उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक के पद पर आईपीएस प्रशांत कुमार के रिटायर होने का समय आया, तो यूपी डीजीपी बनने की लिस्ट में कई वरिष्ठ आईपीएस अफसरों के नाम थे। लेकिन आईपीएस राजीव कृष्णा अपनी बेदाग छवि, उत्कृष्ट कार्यशैली, व्यापक अनुभव और मुख्यमंत्री के भरोसे के कारण इस दौड़ में पहले नंबर पर चल रहे थे। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उनकी ‘गुड पुलिसिंग’ और ईमानदारी को देखते हुए उन्हें यूपी डीजीपी का सर्वोच्च और अत्यंत महत्वपूर्ण जिम्मा सौंपा है। आईपीएस अधिकारी वर्तमान में यूपी पुलिस भर्ती एवं प्रोन्नति बोर्ड के अध्यक्ष और विजिलेंस अध्यक्ष का भी महत्वपूर्ण दायित्व संभाल रहे हैं। राजीव कृष्णा जैसे अनुभवी और सक्षम अधिकारी, जिनका अभी चार साल से ज्यादा का कार्यकाल शेष है, का कार्यवाहक डीजीपी बनना प्रदेश की कानून व्यवस्था को और मजबूत करने तथा अपराधियों पर शिकंजा कसने के लिए एक बेहद शुभ संकेत माना जा रहा है। उनकी नियुक्ति से पुलिस बल में नई ऊर्जा और विश्वास का संचार हुआ है।

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