📍 Today Express डिजिटल डेस्क
आज अगर लक्ष्मण उतेकर का नाम बॉलीवुड की टॉप लिस्ट में शामिल है, तो इसकी वजह उनकी मेहनत, संघर्ष और ज़िंदगी से लड़ने का जज़्बा है। हाल ही में रिलीज़ हुई उनकी फिल्म ‘छावा’ ने 800 करोड़ से ज्यादा की कमाई कर फिल्म इंडस्ट्री को चौंका दिया। लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि इसी शख्स ने कभी सड़क किनारे अंडे बेचे, टॉयलेट साफ किए और चाय पहुंचाई थी।
🧒 6 साल की उम्र में शुरू हुआ संघर्ष
- महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले के छोटे से गांव में जन्मे लक्ष्मण उतेकर को बचपन में ही उनके मामा मुंबई ले आए थे।
- महज 6 साल की उम्र में वे बार के बाहर उबले अंडे बेचते थे।
- बाद में शिवाजी पार्क में वड़ा पाव का ठेला लगाया, लेकिन BMC ने जब्त कर लिया।
- गणेश चतुर्थी पर अमीरों के गणपति विसर्जन में मदद करते और 5 रुपये में से ढाई रुपये कमाते थे।
🚽 टॉयलेट साफ कर सीखी ईमानदारी, चाय पहुंचा-पहुंचाकर मिली प्रेरणा
- एक दिन अखबार में स्टूडियो की सफाई की नौकरी का विज्ञापन देखा और वहां झाड़ू-पोंछा और टॉयलेट साफ करने लगे।
- स्टूडियो में चाय पहुंचाते वक्त उन्हें साउंड और एडिटिंग में रुचि हुई।
- धीरे-धीरे वे अखबार और पॉपकॉर्न बेचने, कार धोने जैसे काम भी करते रहे।
🎥 राजेंद्र सिंह चौहान से मिला पहला ब्रेक
- सहारा कंपनी के नए स्टूडियो के बाहर तीन महीने रोज खड़े रहते थे।
- एक दिन किसी ने पूछा, “रोज यहां क्यों खड़े रहते हो?”
- उन्होंने जवाब दिया, “इसी सवाल का इंतजार था।”
- यहीं से मिला पहला ब्रेक।
📽️ बिनोद प्रधान के साथ की शुरुआत, फिर बना नाम
- सिनेमैटोग्राफर बिनोद प्रधान के साथ असिस्टेंट के तौर पर काम शुरू किया।
- ‘हिंदी मीडियम’, ‘डियर जिंदगी’, ‘102 नॉट आउट’ जैसी फिल्मों की कैमरा टीम में रहे।
- 2014 में मराठी फिल्म ‘टपाल’ से डायरेक्शन की शुरुआत की।
- इसके बाद ‘लुका छुपी’, ‘मिमी’, ‘जरा हटके जरा बचके’ जैसी हिट फिल्में दीं।
💥 ‘छावा’ ने बदली किस्मत
- छत्रपति संभाजी महाराज पर आधारित फिल्म ‘छावा’ को भले ही मिक्स रिव्यू मिले हों, लेकिन बॉक्स ऑफिस पर 800 करोड़ से अधिक की कमाई करके लक्ष्मण उतेकर को इंडस्ट्री में एक नया मुकाम दिलाया।