Agra, उत्तर प्रदेश: शनिवार, 7 जून 2025, 7.35 PM।
कांग्रेस नेता और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजों को ‘मैच फिक्सिंग’ करार दिया है। उन्होंने दावा किया है कि 2024 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में धांधली इतने निचले स्तर पर पहुंच गई कि इसका अनुमान लगाना भी मुश्किल है। राहुल गांधी ने ‘इंडियन एक्सप्रेस’ और ‘लोकसत्ता’ जैसे प्रमुख भारतीय अख़बारों में विस्तृत लेख लिखकर अप्रत्यक्ष रूप से चुनाव आयोग पर भी निशाना साधा और इसे किसी भी लोकतंत्र के लिए ‘ज़हर’ बताया। उनके इस लेख के बाद महाराष्ट्र में राजनीतिक माहौल गरमा गया है और बीजेपी की तरफ से तीखी प्रतिक्रियाएं आनी शुरू हो गई हैं।
राहुल गांधी के ‘धांधली’ के पांच चरण
राहुल गांधी ने अपने लेख में आंकड़ों के साथ महाराष्ट्र चुनाव में ‘धांधली के पांच चरण’ बताए हैं:
- चुनाव आयुक्त की चयन प्रक्रिया पर सवाल: राहुल गांधी का पहला आरोप चुनाव आयुक्त के चयन प्रक्रिया को लेकर है। उन्होंने कहा कि चुनाव आयुक्त नियुक्ति अधिनियम, 2023 में ऐसा प्रावधान है कि केवल प्रधानमंत्री और केंद्रीय गृह मंत्री ही ‘2-1’ बहुमत के आधार पर चुनाव आयुक्त का चुनाव कर सकते हैं। इसमें तीसरा वोट हमेशा विपक्षी पार्टी के वोट को रद्द करने के लिए संभव था। उन्होंने मुख्य न्यायाधीश का पद एक कैबिनेट मंत्री को देने के निर्णय को संदिग्ध बताया।
- फर्जी मतदाता सूची का आरोप: राहुल गांधी का दूसरा आरोप फर्जी मतदाता सूची को लेकर है। उन्होंने आंकड़े पेश करते हुए सवाल उठाया: “2019 से 2024 तक यानी पांच साल में 31 लाख वोटर बढ़े, तो 2024 में लोकसभा और विधानसभा चुनावों के बीच के पांच महीने में 41 लाख कैसे बढ़ गए?”
- 2019 विधानसभा चुनाव मतदाता मतदान: 8 करोड़ 98 लाख
- 2024 लोकसभा चुनाव मतदान प्रतिशत: 9 करोड़ 29 लाख
- 2024 विधानसभा चुनाव मतदाता मतदान: 9 करोड़ 70 लाख
- मतदाताओं की संख्या से अधिक वोट डाले गए: राहुल गांधी ने तीसरा आरोप लगाया कि मतदाताओं की संख्या से अधिक वोट डाले गए। उन्होंने कहा, “चुनाव आयोग के मुताबिक, मतदान के दिन शाम 5 बजे महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में मतदान प्रतिशत 58.22 प्रतिशत था। हालांकि, जब अगली सुबह अंतिम मतदान के आंकड़े घोषित किए गए, तो यह 66.05 प्रतिशत था।” उन्होंने सवाल उठाया, “अंतिम आंकड़ों में 7.83 प्रतिशत या करीब 76 लाख मतदाताओं की वृद्धि अभूतपूर्व थी।”
- फर्जी मतदान का मुद्दा: राहुल गांधी का चौथा आरोप फर्जी मतदान का है। उन्होंने कहा, “महाराष्ट्र में करीब 1 लाख मतदान केंद्र हैं। इनमें से सिर्फ 85 निर्वाचन क्षेत्रों के करीब 12 हजार केंद्रों पर ही मतदाताओं की संख्या ज्यादा है, जहाँ लोकसभा चुनाव में भाजपा का प्रदर्शन निराशाजनक रहा था।” उन्होंने आरोप लगाया कि इन 85 सीटों में से अधिकतर सीटें बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए ने जीती हैं। राहुल गांधी ने नागपुर के कामठी विधानसभा क्षेत्र का उदाहरण दिया, जहाँ बीजेपी के वोटों में 56 हजार की बढ़ोतरी हुई जबकि नए मतदाता सिर्फ 35 हजार बढ़े।
- चुनाव आयोग की चुप्पी: राहुल गांधी का पांचवा आरोप चुनाव आयोग पर विपक्ष के सभी सवालों पर चुप रहने का है। उन्होंने कहा कि आयोग ने 2024 के लोकसभा और विधानसभा चुनावों की फोटो वाली मतदाता सूची उपलब्ध कराने के अनुरोध को सिरे से खारिज कर दिया है। उन्होंने सीसीटीवी फुटेज साझा करने के हाई कोर्ट के आदेश के बावजूद केंद्र सरकार द्वारा चुनाव आचार संहिता में संशोधन कर सीसीटीवी रिकॉर्ड पर रोक लगाने के समय पर भी संदेह जताया।
चुनाव आयोग और बीजेपी की प्रतिक्रिया
चुनाव आयोग ने राहुल गांधी के आरोपों को ‘निराधार’ और ‘भ्रामक’ बताते हुए खारिज कर दिया है। आयोग ने कहा कि इन आरोपों से ‘रूल ऑफ लॉ पर हमला’ होता है और यह ‘अपने ही राजनीतिक दल द्वारा नियुक्त हजारों प्रतिनिधियों को बदनाम करना’ है। आयोग ने 24 दिसंबर 2024 को कांग्रेस पार्टी को दिए गए अपने जवाब का हवाला दिया, जिसमें सभी तथ्य स्पष्ट किए गए थे।
महाराष्ट्र बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले ने भी राहुल गांधी के आरोपों का खंडन किया है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस को आत्मचिंतन करना चाहिए और स्वीकार करना चाहिए कि लोकसभा के मुकाबले विधानसभा में उन्हें 33 लाख वोटों का नुकसान हुआ है। बावनकुले ने कहा, “महाराष्ट्र की जनता ने हमारी महायुति को बहुमत से चुना है। यह जनता का हम पर भरोसा है।”
महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष हर्षवर्धन सपकाल ने राहुल गांधी के लेख को सोशल मीडिया पर साझा करते हुए कहा, “चुनाव चोरी का पूरा खेल समझिए।” उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर संसद में इस गंभीर मुद्दे पर एक भी शब्द न कहने का आरोप लगाया और इसे ‘लोकतांत्रिक व्यवस्था में उत्पन्न एक गंभीर और चिंताजनक मुद्दा’ बताया। कांग्रेस पहले भी महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजों पर सवाल उठा चुकी है, जिसमें मतदाता सूची की सार्वजनिकता और बढ़े हुए मतदान प्रतिशत का प्रमाण मांगा गया था।