नई दिल्ली: गुरुवार, 6 जून 2025, 6:50 PM।
लंबे समय से चल रही अटकलों पर विराम लगाते हुए, कनाडा ने आखिरकार भारत को आगामी G-7 शिखर सम्मेलन में शामिल होने के लिए आमंत्रण भेज दिया है। कनाडा के नवनिर्वाचित प्रधानमंत्री मार्क कार्नी ने व्यक्तिगत रूप से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को फोन कर इस प्रतिष्ठित वैश्विक मंच पर उपस्थित होने का निमंत्रण दिया। इस फोन कॉल के दौरान दोनों नेताओं ने अपने-अपने देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने पर भी विस्तार से चर्चा की। यह आमंत्रण ऐसे समय में आया है जब दोनों देशों के बीच संबंधों में आई तल्खी को लेकर कई कयास लगाए जा रहे थे।
पीएम मोदी ने सोशल मीडिया पर दी जानकारी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद इस महत्वपूर्ण घटनाक्रम की जानकारी अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर साझा की। उन्होंने ट्वीट कर बताया कि कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी से फोन पर बात करके उन्हें खुशी हुई। पीएम मोदी ने मार्क कार्नी को हाल ही में हुए चुनाव में उनकी शानदार जीत पर बधाई भी दी। अपने ट्वीट में पीएम मोदी ने आगे लिखा, “इस महीने के अंत में कनानसकीस (Kananaskis) में होने वाले G7 शिखर सम्मेलन में आमंत्रित करने के लिए उन्हें धन्यवाद दिया।”
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने ट्वीट में भारत और कनाडा के संबंधों की गहराई को भी रेखांकित किया। उन्होंने लिखा, “गहरे जन-जन संबंधों से बंधे जीवंत लोकतंत्रों के रूप में, भारत और कनाडा आपसी सम्मान और साझा हितों के मार्गदर्शन में नए जोश के साथ मिलकर काम करेंगे। शिखर सम्मेलन में हमारी मुलाकात का बेसब्री से इंतजार है।” यह बयान दोनों देशों के बीच भविष्य में अधिक सकारात्मक जुड़ाव की उम्मीदों को दर्शाता है।
अतीत की अटकलें और कूटनीतिक जीत इस आमंत्रण से पहले, कूटनीतिक गलियारों में यह व्यापक रूप से कयास लगाए जा रहे थे कि भारत को इस बार G-7 शिखर सम्मेलन में आमंत्रित नहीं किया जाएगा। इसकी मुख्य वजह दोनों देशों के बीच कुछ समय से चल रहे तल्ख संबंध बताए जा रहे थे। यदि ऐसा होता, तो 2019 के बाद यह पहला मौका होता जब प्रधानमंत्री मोदी G-7 समिट में हिस्सा नहीं लेते। कुछ समय पहले तक कनाडा की तरफ से भी भारत को निमंत्रण देने को लेकर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं की गई थी, जिससे ये अटकलें और प्रबल हो गई थीं।
ऐसे में, यह निमंत्रण भारत के लिए एक महत्वपूर्ण कूटनीतिक जीत माना जा रहा है, जो वैश्विक मंच पर भारत की बढ़ती महत्ता और कनाडाई नेतृत्व की भारत के साथ संबंधों को सुधारने की इच्छा को दर्शाता है। यह प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत की सक्रिय विदेश नीति का भी परिणाम है, जिसने मुश्किल समय में भी महत्वपूर्ण वैश्विक संबंधों को बनाए रखने और मजबूत करने का प्रयास किया है। शिखर सम्मेलन में दोनों नेताओं की मुलाकात पर अब सभी की निगाहें टिकी रहेंगी।