नई दिल्ली: बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की प्रमुख मायावती ने इस सप्ताह दिल्ली के 35 लोधी एस्टेट स्थित अपने सरकारी बंगले को खाली कर दिया है। इस अचानक हुए बदलाव ने केंद्र सरकार और मायावती के बीच के रिश्तों को लेकर राजनीतिक गलियारों में एक नई बहस छेड़ दी है। भले ही बंगला छोड़ने की वजह ‘सुरक्षा कारण’ बताई गई है, जिसमें बंगले के पास स्थित स्कूल के कारण होने वाले भारी ट्रैफ़िक का हवाला दिया गया है, लेकिन इसके राजनीतिक निहितार्थ तलाशे जा रहे हैं।
‘सुरक्षा कारण’ या राजनीतिक मायने?
बसपा के एक वरिष्ठ नेता ने नाम न बताने की शर्त पर बताया कि मायावती अब दिल्ली के सरदार पटेल मार्ग स्थित अपने निजी आवास में रहने लगी हैं। यह एक महत्वपूर्ण बदलाव है, क्योंकि लोधी एस्टेट का बंगला उन्हें वर्षों से आवंटित था और यह उनकी राजनीतिक पहचान का हिस्सा बन चुका था।
बसपा के कुछ नेताओं का यह भी कहना है कि ‘सरकार को मायावती जी के लिए बड़ा बंगला देना चाहिए था।’ यह टिप्पणी इस बात की ओर इशारा करती है कि बसपा को शायद यह बदलाव रास नहीं आया है, और वे इसे केंद्र सरकार की ओर से एक संकेत के रूप में देख रहे हैं। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि क्या यह सिर्फ एक प्रशासनिक फेरबदल है, या फिर यह केंद्र और बसपा के बीच बदलते समीकरणों का प्रतीक है, खासकर आगामी चुनावों को देखते हुए।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि लोधी एस्टेट जैसे प्रमुख सरकारी पते से मायावती का हटना, भले ही सुरक्षा कारणों से हो, लेकिन यह उनके राजनीतिक कद और केंद्र के साथ उनके संबंधों को लेकर कई अटकलों को जन्म देगा। यह देखना दिलचस्प होगा कि इस घटनाक्रम का भविष्य की राजनीतिक रणनीतियों और गठबंधनों पर क्या असर पड़ता है