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‘रन मशीन’ का धांसू कमबैक: कभी ट्रिपल सेंचुरी जड़ने वाले करुण नायर ने अंग्रेजों को धोया, ठोका दोहरा शतक!

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कैंटरबरी, इंग्लैंड: एक तरफ जहाँ पूरे क्रिकेट जगत का ध्यान इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) के रोमांचक प्लेऑफ मुकाबलों पर टिका हुआ है, वहीं दूसरी तरफ इंग्लैंड में भारतीय ‘ए’ टीम ने अपने प्रदर्शन से सबका ध्यान खींचा है। इंग्लैंड लायंस के खिलाफ चल रहे अनऑफिशियल टेस्ट मैच में, भारतीय टीम में लंबे समय बाद वापसी कर रहे अनुभवी बल्लेबाज करुण नायर ने धमाकेदार बल्लेबाजी करते हुए एक शानदार दोहरा शतक जड़ दिया है। उनकी यह पारी न केवल उनके व्यक्तिगत संघर्ष और दृढ़ संकल्प की कहानी कहती है, बल्कि आगामी सीनियर टीम के लिए उनके दावे को भी बेहद मजबूती से पुख्ता करती है। क्रिकेट पंडित और प्रशंसक दोनों ही इस ‘रन मशीन’ की वापसी से उत्साहित हैं।

8 साल बाद लौटे ‘तिहरा शतकवीर’: क्या थी टीम से बाहर होने की वजह?

करुण नायर की भारतीय क्रिकेट टीम में यह वापसी लगभग आठ साल के लंबे अंतराल के बाद हुई है। यह जानकर हर कोई हैरान था कि 2017 में इंग्लैंड के खिलाफ चेन्नई में एक टेस्ट मैच में ऐतिहासिक तिहरा शतक (303* रन) जड़ने के बावजूद, उन्हें प्लेइंग इलेवन से बाहर कर दिया गया था। उस एक पारी के बाद करुण को फिर कभी भारतीय टेस्ट टीम में मौका नहीं मिला, जो क्रिकेट इतिहास के सबसे अनसुलझे और विवादास्पद चयन फैसलों में से एक माना जाता है। इस फैसले पर लगातार सवाल उठते रहे, लेकिन करुण को मौका नहीं मिला।

हालांकि, करुण ने हार नहीं मानी। पिछले कुछ सालों में, उन्होंने घरेलू क्रिकेट में लगातार रनों का अंबार लगाया है। उनकी यह निरंतरता और रनों की भूख ही थी, जिसने आखिरकार चयनकर्ताओं को उन्हें इंग्लैंड के खिलाफ आगामी पांच मैचों की महत्वपूर्ण टेस्ट सीरीज के लिए चुनने पर मजबूर किया। चयनकर्ताओं ने उन्हें सीनियर टीम में सीधा मौका देने से पहले तैयारी के लिए भारत-ए दौरे के लिए भी भेजा। और इस स्टाइलिश दाएं हाथ के बल्लेबाज ने अपने चयन को बिल्कुल सही साबित करते हुए इंग्लैंड लायंस के खिलाफ इस अनौपचारिक टेस्ट में दोहरा शतक जड़कर सबको चौंका दिया।

संघर्ष और जुनून की कहानी: ‘प्रिय क्रिकेट, मुझे एक और मौका दें!’

करुण ने अपना दोहरा शतक मात्र 272 गेंदों में 26 चौके और एक छक्के की मदद से पूरा किया। उन्होंने चौका लगाकर यह मील का पत्थर हासिल किया, जो उनके धैर्य और आक्रामकता का बेहतरीन मिश्रण था। करुण नायर की यह वापसी किसी प्रेरणादायक फिल्मी कहानी से कम नहीं है। एक ऐसा खिलाड़ी जो पिछले घरेलू सत्र तक भारतीय चयनकर्ताओं के रडार पर दूर-दूर तक नहीं था, उसने इस सत्र में ऐसा धमाकेदार प्रदर्शन किया कि चयनकर्ताओं को इंग्लैंड जैसे महत्वपूर्ण दौरे के लिए उन्हें चुनने के लिए मजबूर होना पड़ा।

दरअसल, यह चार दिवसीय मुकाबला कैंटरबरी के सेंट लॉरेंस ग्राउंड में भारत-ए और इंग्लैंड लायंस के बीच खेला जा रहा है। भारत की सीनियर टीम के इंग्लैंड दौरे से ठीक पहले, कुछ खिलाड़ियों को तैयारी के तौर पर इंग्लैंड लायंस के खिलाफ दो मैचों की इस सीरीज के लिए भेजा गया है। पहले मैच में करुण तीसरे नंबर पर बल्लेबाजी के लिए उतरे और मैच के पहले दिन ही शानदार शतक जड़ दिया। पहले दिन का खेल समाप्त होने तक वह 186 रन बनाकर नाबाद थे, और दूसरे दिन उन्हें अपने दोहरे शतक के लिए केवल 14 रनों की दरकार थी। उन्होंने इसे बेहतरीन तरीके से पूरा किया और इंग्लैंड के खिलाफ आगामी टेस्ट सीरीज के लिए अपना दावा और पुख्ता कर लिया।

अपनी पारी में करुण ने कुल 281 गेंदों का सामना किया, जिसमें 26 चौके और एक छक्का शामिल था, और 204 रन बनाकर जमान अख्तर की गेंद पर आउट हुए। उनकी पारी तब और भी महत्वपूर्ण हो जाती है जब हम मैच की शुरुआत देखें: एक समय भारतीय टीम 51 रन पर यशस्वी जायसवाल और कप्तान अभिमन्यू ईश्वरन के विकेट गंवा चुकी थी। इस नाजुक स्थिति में करुण ने सरफराज खान के साथ मिलकर तीसरे विकेट के लिए 181 रन की शानदार साझेदारी निभाई। सरफराज ने भी 119 गेंद में 13 चौके की मदद से 92 रन बनाए, शतक से चूक गए, लेकिन टीम को संभाला। इसके बाद, करुण ने चौथे विकेट के लिए युवा विकेटकीपर-बल्लेबाज ध्रुव जुरेल के साथ 195 रन की एक और जबरदस्त साझेदारी निभाई। जुरेल ने 120 गेंद में 11 चौके और एक छक्के की मदद से 94 रन बनाकर आउट हुए। जुरेल का विकेट दूसरे दिन भारत को लगा पहला झटका और ओवरऑल चौथा झटका था। इसके बाद करुण ने अपना दोहरा शतक पूरा किया और गर्व से बैट उठाकर दर्शकों का अभिवादन स्वीकार किया। खबर लिखे जाने तक भारत ने पांच विकेट गंवाकर 460 से अधिक रन बना लिए थे, नीतीश रेड्डी 7 रन बनाकर आउट हुए।

सीनियर टीम में मजबूत दावा और भविष्य की राह

इस दोहरे शतक की बदौलत करुण ने 20 जून से इंग्लैंड के खिलाफ शुरू होने वाली पांच मैचों की टेस्ट सीरीज के लिए अपना दावा बेहद मजबूत कर लिया है। टीम मैनेजमेंट उन्हें तीसरे, चौथे या पांचवें नंबर पर बल्लेबाजी के लिए उतार सकता है। विराट कोहली और रोहित शर्मा जैसे दिग्गज खिलाड़ियों के टेस्ट प्रारूप से संन्यास लेने के बाद रिक्त हुए दो स्थानों पर साई सुदर्शन और करुण नायर का आना लगभग तय माना जा रहा है। हालांकि, उनकी वापसी की कहानी बिल्कुल भी आसान नहीं रही है। इसके लिए करुण को काफी संघर्ष करना पड़ा और कड़ी मेहनत करनी पड़ी है। यह उनकी सात साल बाद भारतीय टीम में वापसी है, जबकि अगर वह इंग्लैंड के खिलाफ 20 जून को मैदान पर उतरते हैं तो भारत के लिए आठ साल बाद खेलेंगे। पिछली बार करुण 2017 में भारत के लिए टेस्ट खेले थे, और 2018 में इंग्लैंड दौरे के लिए भारतीय टीम में चुने जाने के बावजूद उन्हें एक भी मैच खेलने का मौका नहीं मिला था।

साल 2022 में क्रिकेट में लगातार नाकामी और टीम से बाहर होने के बाद करुण ने एक बेहद भावुक कर देने वाला पोस्ट लिखा था। नायर ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा था, ‘प्रिय क्रिकेट, मुझे एक और मौका दें।’ अब उन्हें यह मौका मिल गया है, और इस मौके को वह पूरी ताकत से भुनाने की कोशिश में लगे हैं। नायर ने 2016 में भारत के लिए डेब्यू किया था, लेकिन टेस्ट में तिहरा शतक जड़ने के बावजूद टीम के लिए लंबे समय तक खेलने में नाकाम रहे। एक बार जब वह टीम से बाहर हो गए, तो वह कभी नहीं लौटे थे। 2022 में कर्नाटक की टीम से बाहर किए जाने के बाद उन्होंने यह दिल छू लेने वाला पोस्ट किया था, जिसने क्रिकेट प्रेमियों का ध्यान खींचा था।

इंग्लैंड में भारतीय टीम के लिए प्रभावशाली प्रदर्शन निश्चित रूप से इस दाएं हाथ के बल्लेबाज को लंबे समय तक टीम इंडिया में बनाए रखेगा। खासकर ऐसे समय में जब विराट कोहली और रोहित शर्मा ने टेस्ट प्रारूप छोड़ दिया है, करुण अच्छी और बड़ी पारियां खेलकर इनमें से एक की जगह पर कब्जा जमाने की कोशिश करेंगे। कई वर्षों तक घरेलू क्रिकेट में कर्नाटक का प्रतिनिधित्व करने के बाद अब वह विदर्भ का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। 2024-25 विजय हजारे ट्रॉफी में उन्होंने आठ पारियों में 779 रन बनाए, जिसमें पांच शतक शामिल थे और इनमें से चार शतक लगातार थे। वह लगभग अकेले दम पर ही विदर्भ को फाइनल तक ले गए थे। यही नहीं उन्होंने रणजी ट्रॉफी में भी शानदार प्रदर्शन किया। उन्होंने नौ मैचों में 863 रन बनाए, जिसमें केरल के खिलाफ फाइनल में एक महत्वपूर्ण शतक और एक अर्धशतक शामिल था, जिससे विदर्भ को खिताब जीतने में उनकी भूमिका अहम रही।

करुण ने भारत के लिए छह टेस्ट मैचों में 62.33 की शानदार औसत से 374 रन बनाए हैं। इसमें एक तिहरा शतक शामिल है, जो उन्हें इस विशिष्ट क्लब का सदस्य बनाता है। इन सात टेस्ट पारियों में उनका स्कोर 4, 13, 303*, 26, 0, 23 और 5 रहा है। प्रथम श्रेणी क्रिकेट में करुण ने 49.16 की शानदार औसत से 8211* रन बनाए हैं। इनमें 23 शतक और 36 अर्धशतक शामिल हैं, जो उनकी निरंतरता और बड़े स्कोर बनाने की क्षमता को दर्शाते हैं। भारत के लिए तिहरे शतक के बावजूद उन्हें लंबे समय तक दरकिनार कर दिया गया था। इसके अलावा वह भारत के लिए दो वनडे भी खेल चुके हैं, जो उन्होंने 2016 में जिम्बाब्वे के खिलाफ हरारे में खेले थे, जिसमें उन्होंने कुल मिलाकर 46 रन बनाए थे।

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