वॉशिंगटन/तेहरान/दोहा, 23 जून 2025, सोमवार रात 10:57 बजे।
ईरान और इज़राइल के बीच जारी तनाव अब प्रत्यक्ष रूप से अमेरिका से टकराव में तब्दील हो गया है। सोमवार देर शाम ईरान ने कतर स्थित अमेरिकी सैन्य अड्डे अल उदैद एयरबेस और इराक के एक अन्य अमेरिकी बेस पर बैलिस्टिक मिसाइलों से हमला किया, जिससे क्षेत्र में युद्ध का दायरा और अधिक व्यापक होता दिख रहा है। यह हमला उस वक्त हुआ जब अमेरिका ने कुछ ही दिन पहले ईरान की कई परमाणु साइट्स को निशाना बनाकर उन्हें पूरी तरह नष्ट करने का दावा किया था। हमले की पुष्टि ईरानी सरकारी टीवी ने की है और बताया है कि यह हमला सीधे तौर पर अमेरिका को जवाब देने के लिए किया गया है।
हमले के तुरंत बाद कतर सरकार ने देश के हवाई क्षेत्र को तत्काल प्रभाव से बंद कर दिया और राजधानी दोहा में आपातकालीन स्थितियां लागू कर दी गईं। उधर अमेरिका ने मध्यपूर्व स्थित अपने सभी सैन्य अड्डों पर रेड अलर्ट घोषित कर दिया है। इसके साथ ही अमेरिका ने सीरिया, बहरीन, कुवैत और यूएई स्थित अपने एयरबेस पर सायरन बजवा दिए हैं और मिसाइल रोधी प्रणाली को पूरी तरह से सक्रिय कर दिया गया है। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप तत्काल व्हाइट हाउस स्थित सिचुएशन रूम पहुंचे और उच्चस्तरीय आपात बैठक की अध्यक्षता की। बताया जा रहा है कि इस बैठक में उपराष्ट्रपति जेडी वेंस और अमेरिकी रक्षा सचिव सहित शीर्ष सुरक्षा अधिकारी मौजूद थे।
अमेरिका पर हुए इस हमले को केवल एक जवाबी कार्रवाई नहीं माना जा रहा, बल्कि इसे एक रणनीतिक चुनौती और चेतावनी के रूप में देखा जा रहा है। अमेरिका लंबे समय से ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर चिंतित रहा है और हाल ही में उसने ईरान के कई अंडरग्राउंड परमाणु ठिकानों पर एयर स्ट्राइक कर दी थी। अमेरिका की इस कार्रवाई के बाद ही ईरान की ओर से यह बड़ा हमला सामने आया है। यह हमला सिर्फ किसी सैन्य बेस को नुकसान पहुंचाने के उद्देश्य से नहीं किया गया बल्कि इसका मकसद अमेरिका को यह दिखाना था कि यदि संघर्ष आगे बढ़ता है तो ईरान जवाब देने में हिचकेगा नहीं।
हमले के तुरंत बाद कतर स्थित अल उदैद एयरबेस से बड़ी मात्रा में धुएं और धमाकों की आवाजें सुनाई दीं। चश्मदीदों ने बताया कि मिसाइलें सीधी एयरबेस के अंदर तक जा पहुंचीं। फिलहाल अमेरिकी रक्षा मंत्रालय ने हताहतों की कोई स्पष्ट जानकारी नहीं दी है, लेकिन प्रारंभिक संकेतों के अनुसार एयरबेस की कुछ संरचनाएं बुरी तरह क्षतिग्रस्त हुई हैं। वहीं, इराक स्थित अमेरिकी बेस पर हुए हमले की भी पुष्टि की गई है, हालांकि वहां नुकसान की जानकारी सीमित है। अमेरिकी रक्षा मंत्रालय ने कहा है कि वह हालात की निगरानी कर रहा है और जवाबी रणनीति तैयार की जा रही है।
उधर, इज़राइल ने भी ईरान के खिलाफ बड़ी सैन्य कार्रवाई करते हुए सोमवार को जवाबी हवाई हमला किया। इज़राइली एयरफोर्स के 15 फाइटर जेट्स ने ईरान के अंडरग्राउंड सैन्य ठिकानों को निशाना बनाकर मिसाइलें दागीं। इज़राइल द्वारा टारगेट किए गए ठिकानों में ड्रोन लॉन्चिंग स्टेशन, मिसाइल स्टोरेज यूनिट और कम्युनिकेशन बंकर शामिल थे। इन हमलों को लेकर अब तक ईरान की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन तेहरान में रेड अलर्ट घोषित कर दिया गया है और सभी हवाई रक्षा प्रणालियों को युद्ध स्तर पर सक्रिय किया गया है।
ईरान की यह कार्रवाई अमेरिकी चेतावनियों के बावजूद की गई है। कुछ ही दिन पहले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बयान दिया था कि अमेरिका ने ईरान की कई परमाणु साइट्स को पूरी तरह तबाह कर दिया है। इसके बाद उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने सख्त लहजे में चेतावनी दी थी कि अगर ईरान ने अमेरिकी सैन्य अड्डों पर हमला किया तो अमेरिका का जवाब पहले से कहीं ज्यादा गंभीर और निर्णायक होगा। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा था कि अमेरिका और अधिक हमले नहीं करेगा और तनाव कम करने की दिशा में काम करना चाहता है। लेकिन अब हालात उस दिशा में नहीं बढ़ रहे हैं।
कतर स्थित अल उदैद एयरबेस अमेरिका की सेंट्रल कमांड का मुख्यालय है और यह अमेरिका के लिए रणनीतिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण है। इस एयरबेस से पूरे मिडिल ईस्ट में अमेरिकी हवाई अभियानों की निगरानी की जाती है। यहां हजारों अमेरिकी सैनिक तैनात हैं और अत्याधुनिक हथियार प्रणालियां मौजूद हैं। ऐसे में इस पर हुआ यह सीधा हमला न केवल एक सैन्य चुनौती है, बल्कि अमेरिका की अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठा पर भी सीधा प्रहार माना जा रहा है।
इस पूरे घटनाक्रम से साफ हो गया है कि अब यह संघर्ष केवल ईरान और इज़राइल के बीच नहीं रह गया, बल्कि अमेरिका प्रत्यक्ष रूप से इसमें शामिल हो गया है। यह टकराव अब पूरे वेस्ट एशिया में व्यापक अस्थिरता और संभावित वैश्विक युद्ध का संकेत देने लगा है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की आपात बैठक बुलाने की मांग भी तेजी से उठ रही है और कई यूरोपीय देश इस संकट को सुलझाने के लिए मध्यस्थता की पेशकश कर रहे हैं।
इसके साथ ही इस पूरे घटनाक्रम ने वैश्विक ऊर्जा बाजार को भी हिलाकर रख दिया है। हमलों के तुरंत बाद कच्चे तेल की कीमतों में 8% तक की उछाल दर्ज की गई है और एशियाई शेयर बाजारों में भारी गिरावट देखी जा रही है। भारत, चीन और जापान जैसे देशों की सरकारों ने आपात बैठकें बुलाकर स्थिति की समीक्षा शुरू कर दी है। भारत सरकार ने अपने नागरिकों को मध्य पूर्व की यात्रा से बचने की सलाह जारी की है और कतर, ईरान व इराक में मौजूद भारतीय दूतावासों को अलर्ट मोड में रखा गया है।
अमेरिकी संसद में भी इस हमले को लेकर हड़कंप मच गया है। विपक्षी डेमोक्रेट्स ने राष्ट्रपति ट्रंप पर इस संकट को कूटनीतिक रास्ते से सुलझाने में विफल रहने का आरोप लगाया है, वहीं रिपब्लिकन पार्टी के नेता ईरान पर और कड़ी कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि इस तनाव को तुरंत नहीं रोका गया तो यह संघर्ष मध्य पूर्व के पारंपरिक युद्ध से निकलकर तीसरे विश्व युद्ध की दिशा में बढ़ सकता है।
ईरान, अमेरिका और इज़राइल के इस त्रिकोणीय युद्ध में अब विश्व की नजरें संयुक्त राष्ट्र, नाटो और अरब लीग की सक्रियता पर टिकी हैं। जहां एक ओर यह संघर्ष सैन्य ताकत की होड़ बनता जा रहा है, वहीं दूसरी ओर इसका सबसे बड़ा असर आम नागरिकों पर पड़ता दिखाई दे रहा है। कतर, इराक और ईरान के सीमावर्ती इलाकों में लाखों लोग घर छोड़कर सुरक्षित स्थानों की ओर पलायन कर रहे हैं।
यह स्पष्ट है कि इस युद्ध के परिणाम केवल सीमित भूगोल तक नहीं रुकेंगे। वैश्विक स्तर पर इसके प्रभाव गहरे होंगे। कूटनीतिक समझदारी, संयम और संवाद ही अब इस युद्ध को रोक सकते हैं, अन्यथा इतिहास एक बार फिर रक्तपात और विनाश का गवाह बनने जा रहा है।