पश्चिम उत्तर प्रदेश में उच्च न्यायालय की खंडपीठ का आंदोलन

पश्चिम उत्तर प्रदेश में उच्च न्यायालय की खंडपीठ का आंदोलन सिर्फ एक मजाक भर रह गया है।
मैं आगरा का निवासी हूं और पिछले 20 साल से समय-समय पर यहां के प्रमुख अखबारों में इस आंदोलन से संबंधित ख़बरें पढ़ना रहता हूं जिसमें वकील समुदाय के लोग आगरा में खंडपीठ स्थापना के लिए ज्ञापन देते हैं नारेबाजी करते हैं हड़ताल करते हैं और भी तमाम तरह के वक्तव्य जारी करते हैं।
अब चूंकि में एक पत्रकार होने के साथ-साथ पब्लिकेशन लाइन से भी जुड़ा हुआ हूं अतः पश्चिमी उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों में नियमित रूप से आना जाना बना रहता है।
जब मैं मेरठ में जाता हूं और वहां के अखबार पढ़ता हूं तो पिछले 20 साल से वहां के वकील भी मेरठ मैं उच्च न्यायालय की खंडपीठ के लिए जोरदार तरीके से आंदोलन करते रहते हैं।वक्तव्य देते हैं हड़ताल करते हैं इत्यादि गतिविधियों में संलग्न रहते हैं।
इसी तरह जब मैं बरेली में जाता हूं तो बरेली के वकील भी अपने शहर में उच्च न्यायालय की खंडपीठ स्थापना के लिए पुरजोर तरीके से आंदोलन करते हैं ज्ञापन देते हैं हड़ताल करते हैं इत्यादि गतिविधियों में संलग्न रहते हैं।
और मजे की बात यह है कि सत्ता से संबंधित सांसद विधायक और मंत्री साथ ही उच्च दर्जे के हुक्मरान जब-जब आगरा, मेरठ और बरेली क्षेत्र का दौरा करते हैं तो वहां पर एक लॉलीपॉप दे देते हैं कि हम आपके शहर में उच्च न्यायालय की खंडपीठ आने का समर्थन करते हैं और प्रयासरत हैं।
इस सच्चाई को जानने के लिए आपको सिर्फ यही करना है की तीन प्रमुख अखबार अमर उजाला व दैनिक जागरण एवं हिंदुस्तान के बरेली,आगरा और मेरठ संस्करण को सिर्फ एक महीना पढ़ लीजिए सब दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा।
मेरा यह मानना है उच्च न्यायालय की खंडपीठ कभी भी इन तीनों शहरों में स्थापित नहीं होगी। यदि पश्चिम उत्तर प्रदेश में भौगोलिक दृष्टिकोण से जितने भी जिले आते हैं उन सब में समान रूप से अप्रोच वाला शहर सिर्फ मेरठ है यदि निष्पक्ष तरीके से बगैर किसी के दबाव में आए खंडपीठ की स्थापना होगी भी तो मेरठ में ही होनी चाहिए क्योंकि पश्चिम उत्तर प्रदेश में आगरा मंडल अलीगढ़ मंडल मेरठ मंडल सहारनपुर मंडल मुरादाबाद मंडल और बरेली मंडल है इन सभी के बीच में समान रूप से सिर्फ मेरठ है।