आगरा, उत्तर प्रदेश: रविवार, 8 जून 2025, 6:25 PM।
टेरिटोरियल आर्मी में भर्ती के नाम पर जम्मू-कश्मीर के युवाओं से लाखों रुपये की ठगी करने वाले एक बड़े गिरोह का आगरा में एसटीएफ (स्पेशल टास्क फोर्स) ने भंडाफोड़ किया है। इस गिरोह ने फर्जी नियुक्ति पत्र और मेडिकल टेस्ट का झांसा देकर भोले-भाले युवाओं को अपने जाल में फंसाया था। एसटीएफ ने मामले में तीन शातिर आरोपियों को गिरफ्तार किया है, जबकि गिरोह का मुख्य सरगना अभी भी फरार है।
फर्जीवाड़ा: नोटिफिकेशन और मेडिकल के नाम पर वसूली
लखनऊ की आर्मी इंटेलिजेंस यूनिट से मिली खुफिया जानकारी के आधार पर यूपी एसटीएफ की टीम ने आगरा के आईएसबीटी क्षेत्र और खेरिया एयरपोर्ट के पास स्थित दो होटलों में छापेमारी की। इन होटलों में जम्मू-कश्मीर के 24 युवक ठगी का शिकार होकर भर्ती प्रक्रिया के झांसे में रुके हुए मिले। इन युवाओं से पूछताछ में पता चला कि उनसे 7-8 लाख रुपये में टेरिटोरियल आर्मी में भर्ती कराने की डील की गई थी।
तीन शातिर गिरफ्तार, गैंग लीडर फरार
एसटीएफ द्वारा गिरफ्तार किए गए आरोपियों में सुनील कुमार (सांबा, जम्मू-कश्मीर), बलवंत सिंह (कठुआ, जम्मू-कश्मीर) और अजय यादव (फिरोजाबाद, उत्तर प्रदेश) शामिल हैं। इस गिरोह का मुख्य सरगना दीपक कुमार शर्मा (पठानकोट निवासी) बताया जा रहा है, जिसकी तलाश में पुलिस जुटी हुई है। प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि युवाओं ने ठगी की यह रकम सीधे दीपक के खाते में ट्रांसफर की थी।
कैसे ठगते थे युवाओं को?
यह गिरोह युवाओं का विश्वास जीतने के लिए बेहद शातिराना तरीके अपनाता था। वे अभ्यर्थियों का फर्जी आर्मी नोटिफिकेशन और नकली दस्तावेज तैयार करते थे, जिससे यह सब असली लगे। इसके बाद, युवाओं को भर्ती और नियुक्ति का झांसा देकर उनसे मोटी रकम वसूली जाती थी। यहां तक कि इन्होंने शिकोहाबाद के एक फिजियोथेरेपिस्ट को भी मेडिकल टेस्ट कराने के लिए बुलाया था, ताकि पूरी प्रक्रिया वास्तविक लगे।
एसटीएफ की जांच जारी, कई कड़ियां खुलेंगी
तीनों गिरफ्तार आरोपियों से एसटीएफ की पूछताछ लगातार जारी है। एसटीएफ अब गैंग के पूरे नेटवर्क और इसमें शामिल अन्य सहयोगियों की तलाश में जुट गई है। पुलिस का कहना है कि जल्द ही मुख्य सरगना दीपक कुमार शर्मा की गिरफ्तारी के लिए अभियान तेज किया जाएगा, जिससे इस बड़े ठगी रैकेट की अन्य कड़ियाँ भी सामने आ सकती हैं। यह कार्रवाई युवाओं को सेना में भर्ती के नाम पर होने वाली धोखाधड़ी से बचाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।