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लेडी लायल अस्पताल में व्यवस्थाओं पर महिला आयोग अध्यक्ष की सख्त नाराजगी, खुद दिए चार कूलर

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शनिवार, 14 जून 2025, दोपहर 12:47 बजे IST. आगरा।

आगरा के लेडी लायल अस्पताल में भीषण गर्मी और लचर व्यवस्थाओं के चलते मरीज बेहाल हैं, जबकि अस्पताल प्रशासन कथित तौर पर आँखें मूंदे बैठा है। शनिवार को उत्तर प्रदेश राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. बबिता सिंह चौहान ने जब अचानक अस्पताल का निरीक्षण किया, तो उन्हें खामियों की एक लंबी फेहरिस्त मिली। इस दौरान उन्होंने अपनी ओर से लेडी लायल अस्पताल में चार कूलर लगवाने की घोषणा भी की, ताकि मरीजों को गर्मी से कुछ राहत मिल सके।

बदहाल व्यवस्थाएं: टूटे दरवाजे, खराब लिफ्ट और निष्क्रिय कूलर

डॉ. बबिता सिंह चौहान को निरीक्षण के दौरान वार्डों में कोई भी कूलर ठीक से काम करता नहीं मिला। एक कूलर तो ऐसा था, जो सिर्फ शोपीस बन कर रह गया था और उसकी पानी की मोटर तक नहीं जुड़ी थी। अस्पताल परिसर में शौचालयों के दरवाजे टूटे हुए थे और लिफ्ट भी खराब पड़ी थी, जिससे मरीजों और तीमारदारों को भारी असुविधा हो रही थी।

डॉ. चौहान ने इन सारी अव्यवस्थाओं पर सीएमएस डॉ. रचना गुप्ता से गहरी नाराजगी जताई। उन्होंने पूछा कि उन्हें दो महीने पहले भी यही खामियां मिली थीं, और दो महीने बाद भी हालात जस के तस हैं। उन्होंने सवाल किया, “क्या आपको अब तक इन्हें सुधारने का मौका नहीं मिला?”

मरीजों की शिकायतें और गंभीर आरोप:

निरीक्षण के दौरान, महिला मरीजों ने डॉ. चौहान से शिकायत की कि डॉक्टर राउंड पर नहीं आतीं। डॉ. बबिता सिंह चौहान ने विशेष तौर पर महिला मरीजों से यह जानकारी ली कि क्या बच्चे के जन्म के समय स्टाफ की ओर से पैसे की मांग की जाती है। इस पर कुछ तीमारदारों ने बताया कि लड़की पैदा होने पर 1100 रुपये और लड़का पैदा होने पर 2100 रुपये लिए जाते हैं, जिसे सुनकर डॉ. चौहान ने गहरा दुख व्यक्त किया। तीमारदारों ने अस्पताल परिसर में बंदरों की समस्या भी उठाई, जिससे मरीजों की सुरक्षा पर खतरा मंडराता रहता है।

अस्पताल प्रबंधन को चेतावनी और स्वयं सहायता का प्रस्ताव:

डॉ. चौहान ने अस्पताल प्रबंधन को कड़ी चेतावनी दी कि मरीजों की सेहत और सुविधाओं से खिलवाड़ अब बिल्कुल बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने अस्पताल प्रशासन को जल्द से जल्द व्यवस्था दुरुस्त करने के निर्देश दिए।

बाद में पत्रकारों से बात करते हुए डॉ. बबिता सिंह चौहान ने कहा कि उन्हें अस्पताल में कुछ भी ठीक नहीं मिला। उन्होंने बताया, “मैंने अस्पताल प्रबंधन से कहा है कि आप मुझे बताइए कि कितने एसी और कूलर लगने हैं अथवा पानी का प्रबंध करना है। मैं ये काम कराऊंगी सामाजिक संस्थाओं के सहयोग से।” उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि “ये लोग न तो खुद कुछ करना चाहते हैं और न ही करने देना चाहते हैं।” उन्होंने दोहराया कि दो महीने पहले जब वह निरीक्षण करने आई थीं, तभी अस्पताल प्रबंधन से कहा था कि गर्मियां आ रही हैं, कूलर, एसी और वाटर कूलर दुरुस्त करा लें। “आप पर न हो पा रहा हो तो मुझे बताएं, लेकिन दो महीने बाद भी स्थिति जस की तस मिली है।”

अस्पताल प्रबंधन से बातचीत के दौरान डॉ. बबिता सिंह चौहान को बताया गया कि अस्पताल में चार कूलरों की तत्काल आवश्यकता है। डॉ. चौहान ने इन चार कूलरों को अपनी ओर से जल्द भिजवाने का वायदा किया। उन्होंने पुनः दुख व्यक्त करते हुए कहा कि उन्हें स्टाफ द्वारा ‘लड़की पैदा होने पर 1100 रुपये और लड़का पैदा होने पर 2100 रुपये’ लिए जाने की शिकायत मिली, जो बहुत निराशाजनक है।

उन्होंने बताया कि उन्हें दो महीने बाद ही फिर से लेडी लायल का निरीक्षण करने इसलिए आना पड़ा क्योंकि लोगों के फोन लगातार आ रहे थे कि “आप सारे यूपी में निरीक्षण कर व्यवस्थाएं दुरुस्त करा रही हैं, अपने शहर के महिला अस्पताल को भी देख लें, जहाँ बहुत सारी अव्यवस्थाएं हैं।”

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