तुर्किए की सरकार ने देश की लगातार गिरती जनसंख्या दर को गंभीर संकट घोषित करते हुए 2025 को ‘परिवार का वर्ष’ घोषित किया है। राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन ने यहां तक कह दिया है कि “हर महिला को कम से कम तीन बच्चे पैदा करने ही होंगे, चाहे जो हो जाए।”
तुर्किए में 2001 में प्रति महिला औसतन 2.38 बच्चे होते थे, जो 2025 में घटकर 1.48 रह गए हैं। यह दर अब फ्रांस, ब्रिटेन और अमेरिका जैसे विकसित देशों से भी कम हो गई है। एर्दोगन ने इसे “युद्ध से भी बड़ा खतरा” करार देते हुए इसे राष्ट्रीय आपदा घोषित किया है।
राष्ट्रपति एर्दोगन, जो खुद चार बच्चों के पिता हैं, ने इस गिरावट के लिए महिलाओं की प्राथमिकताओं में बदलाव और LGBTQ+ समुदाय को जिम्मेदार ठहराया है। इसके जवाब में नारीवादी और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने कड़ी आलोचना की है। बेरिन सोनमेज़ नाम की एक कार्यकर्ता ने कहा कि महिलाओं को जनसंख्या संकट का दोष देना सही नहीं है, जब सरकार खुद आर्थिक अस्थिरता और बेरोजगारी रोक पाने में असफल रही है।
तुर्किए इस समय गंभीर आर्थिक संकट से गुजर रहा है। शिक्षा की लागत में 70% की बढ़ोतरी हुई है, नौकरियों की कमी है, और महंगाई ने आम लोगों का जीवन मुश्किल कर दिया है। ऐसे में बच्चे पालना एक आम परिवार के लिए बहुत कठिन हो गया है।
इसके बावजूद एर्दोगन सरकार वित्तीय प्रोत्साहन, नवविवाहितों को आर्थिक सहायता, और बच्चों के लिए सुविधाएं बढ़ाने जैसे कई प्रयास कर रही है। राष्ट्रपति ने यह भी घोषणा की कि 2026 से ‘परिवार का दशक’ शुरू किया जाएगा।
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि तुर्किए की जनता इस सरकारी फरमान को अपनाती है या सामाजिक बदलाव और आर्थिक हकीकत के बीच यह नीति विफल हो जाती है।