बीजिंग, चीन: शनिवार, 31 मई 2025, रात 9:20 बजे। अंतरराष्ट्रीय विवादों को सुलझाने की दिशा में चीन ने एक बड़ा कदम उठाया है। बीजिंग ने एक नया संगठन, इंटरनेशनल ऑर्गेनाइजेशन फॉर मीडिएशन (IOMed), बनाया है। इस नई संस्था को इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस (ICJ) और परमानेंट कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन (PCA) जैसे मौजूदा वैश्विक न्यायिक संस्थानों के एक विकल्प के तौर पर पेश किया गया है, जो अंतरराष्ट्रीय संबंधों में चीन की बढ़ती भूमिका और प्रभाव को दर्शाता है।
चीन के सरकारी मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स ने IOMed को मध्यस्थता के जरिए अंतरराष्ट्रीय विवादों को सुलझाने वाला दुनिया का पहला ‘सरकारों के बीच का कानूनी संगठन’ (इंटर-गवर्नमेंटल कानूनी संगठन) बताया है। इसका मुख्यालय हॉन्गकॉन्ग में स्थापित किया जाएगा, जो चीन के लिए एक रणनीतिक केंद्र है।
IOMed में कुल 33 देश संस्थापक सदस्य बने हैं। यह संगठन मध्यस्थता (मीडिएशन) के माध्यम से विवादों को हल करने पर ध्यान केंद्रित करेगा, जो आमतौर पर अदालती कार्यवाही की तुलना में कम औपचारिक और अधिक लचीली प्रक्रिया मानी जाती है। इसका लक्ष्य देशों के बीच सहमति और सहयोग के आधार पर विवादों का मैत्रीपूर्ण समाधान खोजना है।
विशेषज्ञों का मानना है कि इस संगठन का गठन ऐसे समय में हुआ है जब चीन कई अंतरराष्ट्रीय विवादों में उलझा हुआ है, विशेष रूप से दक्षिण चीन सागर और अन्य क्षेत्रीय मुद्दों पर। IOMed के जरिए चीन अंतरराष्ट्रीय विवादों को सुलझाने के लिए एक ऐसा मंच बनाना चाहता है जो मौजूदा पश्चिमी-प्रधान न्यायिक प्रणालियों से अलग हो, और जहां चीन की अपनी कूटनीतिक पहुंच और प्रभाव का अधिक लाभ उठाया जा सके। यह कदम वैश्विक शासन ढांचे में चीन की भूमिका को और मजबूत करने की उसकी महत्वाकांक्षा को भी दर्शाता है। हालांकि, इसकी स्वीकार्यता और प्रभावशीलता समय के साथ ही स्पष्ट हो पाएगी, खासकर जब इसे ICJ जैसे स्थापित और सार्वभौमिक रूप से स्वीकृत निकायों के समानांतर देखा जा रहा है।