बरेली, उत्तर प्रदेश: बुधवार, 4 जून 2025, शाम 8:00 बजे।
ईद-उल-अज़हा, जिसे आम बोलचाल में बकरीद कहा जाता है, की उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है, और इसके साथ ही बरेली शहर में एक नई, लेकिन दिलचस्प आर्थिक हलचल देखने को मिल रही है। एक तरफ जहाँ शहर के किराना बाजारों में लगातार खरीदारों की भीड़ बढ़ रही है, वहीं दूसरी ओर मुस्लिम बहुल क्षेत्रों के प्रमुख चौराहों और खाली पड़े हातों में बकरों की अस्थायी मंडियां पूरी रौनक के साथ सज चुकी हैं। इन मंडियों में बकरों की खरीद-फरोख्त चरम पर है, लेकिन इस बार बाजार में एक अप्रत्याशित और अभूतपूर्व ट्रेंड सामने आया है: अब बकरे किस्तों पर भी उपलब्ध हैं।
साहूकारों की एंट्री से बदला बकरा बाजार का चेहरा:
रुहेलखंड के प्रख्यात बकरा बाजार के मालिक राजेश सिंह ने इस नए चलन पर प्रकाश डालते हुए बताया कि इस वर्ष बकरीद पर बकरे की कीमतें काफी बढ़ी हुई हैं। उनका कहना है कि बकरा खरीदना अब आम आदमी की पहुंच से बाहर होता जा रहा है, जिससे मध्यवर्गीय परिवारों के सामने कुर्बानी के धार्मिक कर्तव्य को पूरा करने में चुनौती आ रही थी। हालांकि, बकरा व्यापारियों ने इस समस्या का एक ‘बहुत अच्छा’ तरीका निकाल लिया है। बाजार में अब स्थानीय साहूकार भी अपने एजेंटों के साथ पहुंच रहे हैं। इन एजेंटों ने क्षेत्र में घूम-घूमकर व्यापक प्रचार करना शुरू कर दिया है कि “अब बकरा खरीदना आसान हो गया है, क्योंकि बकरा अब किस्तों पर भी मिल रहा है।” यह पहल उन परिवारों के लिए एक बड़ी राहत बनकर उभरी है, जो पारंपरिक रूप से नकद भुगतान में असमर्थ थे।
बकरा व्यापारी मोहम्मद अली ने इस पहल के पीछे की अपनी मंशा साझा करते हुए बताया कि वह विशेष रूप से फरीदपुर तहसील के रहने वाले लोगों को किस्तों पर बकरे दे रहे हैं। उनका कहना है कि वे चाहते हैं कि “पैसे के अभाव में अपना कोई भाई कुर्बानी से वंचित न रहे।” यह मानवीय दृष्टिकोण इस व्यापारिक नवाचार को एक सामाजिक सेवा का रूप भी देता है।

किस्त योजना की शर्तें: आधार कार्ड और गवाह की अनिवार्यता:
बाकरगंज के प्रसिद्ध पहलवान हसीब कुरैशी ने किस्तों पर बकरा खरीदने की प्रक्रिया को स्पष्ट किया। उन्होंने बताया कि इस योजना का लाभ उठाने के लिए खरीदार को अपने आधार कार्ड की कॉपी जमा करनी होगी, और साथ ही एक व्यक्ति की गवाही भी अनिवार्य होगी। यह सुनिश्चित करने के लिए है कि लेन-देन में पारदर्शिता बनी रहे और भुगतान की जिम्मेदारी स्पष्ट हो। कुरैशी ने यह भी स्पष्ट किया कि किस्तों पर बकरा देने का यह विशेष ऑफर केवल बकरीद पर्व तक ही सीमित है, जिससे यह एक ‘सीज़नल फाइनेंसिंग’ मॉडल बन गया है।
ब्याज और क्षेत्रीय प्राथमिकताएं:
देवचरा बाजार में आए होशियार सिंह गुर्जर ने बताया कि वे भी किस्तों पर बकरे उपलब्ध करा रहे हैं, लेकिन उनकी नीति कुछ अलग है। वे केवल कुछ क्षेत्र विशेष के लोगों को ही बकरे किस्त पर दे रहे हैं, संभवतः अपने परिचित या विश्वसनीय क्षेत्रों के लोगों को। जब ब्याज दर का सवाल पूछा गया, तो उन्होंने स्पष्ट किया कि “कोई रेट फिक्स नहीं है, जिससे जैसा सौदा पट जाए।” यह दर्शाता है कि ब्याज दर हर ग्राहक और सौदे की प्रकृति के आधार पर अलग-अलग हो सकती है, जो एक अनौपचारिक ऋण प्रणाली की खासियत है।
व्यापारियों के सामने भी उधार की चुनौती:
देवचरा के बाजार में देश के कई राज्यों से, खासकर हरियाणा, राजस्थान और मध्य प्रदेश से, बकरों के आने का सिलसिला जारी है। छोटे व्यापारी भी यहीं से थोक में बकरे खरीद रहे हैं। पीलीभीत के व्यापारी कयूम कुरैशी ने एक महत्वपूर्ण जानकारी दी। उन्होंने बताया कि बकरीद पर बकरों का व्यापार करने के लिए उन्हें लगभग 50 लाख रुपये उधार लेने पड़ते हैं। यह एक ‘सीज़नल लोन’ होता है, और इसी कारण उन्हें यह धनराशि ऊंची ब्याज दर पर लेनी पड़ रही है। यह दिखाता है कि सिर्फ खरीदार ही नहीं, बल्कि व्यापारी भी इस मौसमी व्यापार के लिए वित्तीय चुनौतियों का सामना कर रहे हैं।
मध्यवर्गीय खरीदारों में अति उत्साह और बाजार में वृद्धि:
बहेड़ी कस्बा के बड़े व्यापारी सलीम सिद्दीकी ने इस नए ट्रेंड के सकारात्मक प्रभाव पर प्रकाश डाला। उन्होंने जानकारी दी कि महीने की शुरुआत होने और किस्तों पर बकरा उपलब्ध होने के कारण, मध्यवर्गीय लोगों में बकरा खरीदने को लेकर अति उत्साह देखने को मिल रहा है। नौकरीपेशा लोग विशेष रूप से किस्तों पर बकरा खरीदने में अधिक रुचि दिखा रहे हैं। सिद्दीकी ने पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष बाजार में एक उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की है, जिसमें खरीदारों की संख्या में 25 से 30 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी हुई है। यह आंकड़ा स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि किस्तों पर बकरा उपलब्ध कराने की योजना ने बाजार को एक नई गति प्रदान की है।
कुर्बानी के नियमों और पुलिस संबंधी हिदायतें:
उल्लेखनीय है कि बकरा खरीदने वालों को व्यापारियों द्वारा यह भी विशेष हिदायत दी जा रही है कि वे कुर्बानी खुले में या सार्वजनिक स्थानों पर न करें। यह एक संवेदनशील मुद्दा है, और व्यापारी अपने खरीदारों को लगातार यह ध्यान रखने की सलाह दे रहे हैं कि हर्षोल्लास से मनाया जाने वाला यह पवित्र त्योहार किसी भी तरह से पुलिस या प्रशासनिक हस्तक्षेप का कारण न बन जाए। यह सावधानी सुनिश्चित करने के लिए है कि धार्मिक अनुष्ठान शांति और सद्भाव के साथ संपन्न हो। बरेली का यह बकरा बाजार, अपनी अनूठी किस्त योजना और बढ़ती रौनक के साथ, इस बार बकरीद के त्योहार में एक नया आर्थिक और सामाजिक आयाम जोड़ रहा है।