गुरुवार, जून 12, 2025, 1:33:59 AM IST. आगरा।
प्रसिद्ध कथा वाचक और मोटिवेशनल स्पीकर जया किशोरी ने बरेली के फरीदपुर स्थित फ्यूचर यूनिवर्सिटी में आयोजित ‘क्षितिज-विचारों से बदलाव तक’ कार्यक्रम में युवाओं को सफलता का अहम मंत्र दिया। उन्होंने युवाओं से आह्वान किया कि वे अपने बुजुर्गों के अनुभवों से सीखें और जीवन में आगे बढ़ें। मंगलवार रात हुए इस कार्यक्रम में जया किशोरी ने कहा कि जीवन में स्थिरता और सही दिशा उन्हीं को मिलती है जो धैर्य से सुनते और समझते हैं।
बुजुर्गों की बातों में छिपे हैं जीवन के रहस्य
जया किशोरी ने अपने प्रेरणादायक संबोधन में कहा कि आज की युवा पीढ़ी छोटे-छोटे असफल प्रयासों के बाद ही अक्सर निराश हो जाती है। लेकिन, उन्होंने जोर देकर कहा कि अगर युवा अपने घर के बुजुर्गों से बात करें, तो उन्हें जीवन के कई ऐसे रहस्य और अनमोल सबक मिल सकते हैं जो उनकी जिंदगी की दिशा बदल सकते हैं। उन्होंने बताया कि माता-पिता और अभिभावक ही ऐसे लोग होते हैं जो अपने बच्चों को बिना शर्त खुश देखना चाहते हैं और उनका भला सोचते हैं।
परवरिश में प्रोत्साहन जरूरी, ताने नहीं
आत्महत्या जैसे गंभीर और घातक कदमों पर चिंता व्यक्त करते हुए जया किशोरी ने कहा कि ऐसे दुखद फैसले लेने वाले ज्यादातर युवा अपने अभिभावकों से माफी मांगते हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि वे उनकी उम्मीदों पर खरे नहीं उतर पाए। उन्होंने अभिभावकों को सलाह दी कि बच्चों को डांटने या ताना देने के बजाय उन्हें सुनना और प्रोत्साहित करना बेहद जरूरी है। प्यार और समझ से भरी परवरिश बच्चों को मजबूत बनाती है।

सोशल मीडिया और सच्ची सफलता में अंतर पहचानें
उन्होंने युवाओं को सोशल मीडिया पर दिखने वाली सफलता की चमक से सावधान किया। जया किशोरी ने चेताया कि सोशल मीडिया पर जो सफलता दिखती है, वह जरूरी नहीं कि असली हो। उन्होंने स्पष्ट किया कि केवल पैसा कमाने वाला हर व्यक्ति सफल नहीं होता। सच्ची सफलता का असली मापदंड आत्मसंतुष्टि और समाज के लिए किए गए सार्थक कार्य हैं।
सपनों को पूरा करने में उम्र नहीं, जज्बा जरूरी
कार्यक्रम की थीम ‘क्षितिज-विचारों से बदलाव तक’ पर बोलते हुए जया किशोरी ने कहा कि क्षितिज हमारी सोच से परे है, इसलिए हमें हमेशा बड़ा सोचना चाहिए और अपने सपनों को पूरा करने के लिए जुट जाना चाहिए। उन्होंने युवाओं को समाज की बातों से नहीं डरने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि हर सफल व्यक्ति की आलोचना होती है, लेकिन इससे विचलित हुए बिना अपने लक्ष्य की ओर बढ़ते रहना चाहिए।
महिला-पुरुष में नहीं, सोच में हो समानता
द्वापर युग की एक कथा सुनाते हुए जया किशोरी ने लिंग समानता पर अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि शास्त्रों में कहीं भी यह नहीं लिखा गया है कि महिला घर का काम करेगी और पुरुष बाहर का। यह समाज द्वारा बनाई गई व्यवस्था है। उन्होंने जोर देकर कहा कि संघर्ष महिलाओं और पुरुषों के बीच नहीं होना चाहिए, बल्कि यह समानता की सोच के लिए होना चाहिए, और इसमें दोनों की भूमिका अहम है।
सोशल मीडिया आलोचकों पर सीधा प्रहार
जया किशोरी ने सोशल मीडिया पर मिलने वाली नकारात्मक समीक्षाओं और आलोचनाओं पर भी टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि दूसरों को जज करने वाले लोग अक्सर खुद अपनी सफलता से दूर होते हैं। उन्होंने युवाओं को आत्मनिरीक्षण करने और अकेले ही अपने सपनों की ओर बढ़ने का मंत्र दिया। उन्होंने अपने निजी अनुभव साझा करते हुए बताया कि जब उन्होंने अपना मार्ग चुना था तो उन्हें तमाम चुनौतियों का सामना करना पड़ा, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी। उनका जीवन इस बात का प्रमाण है कि दृढ़ संकल्प से हर मुश्किल पार की जा सकती है।