आगरा, उत्तर प्रदेश: रविवार, 8 जून 2025, 2:50 PM।
कभी आगरा की जीवनरेखा कही जाने वाली यमुना नदी आज जीवन और मृत्यु के बीच झूलती एक व्यथित कथा बन चुकी है। काले-भूरे जल की सतह पर तैरता प्लास्टिक, किनारों पर जमी बदबूदार सिल्ट और गाद, और हर ओर फैला कचरा — यह वही यमुना है जो कभी ताजमहल की पवित्र छाया में शांत और गर्व से बहती थी। यह स्थिति केवल शर्मनाक ही नहीं, बल्कि खतरनाक भी है। यदि अभी नहीं चेते, तो यह नदी इतिहास की एक पीली तस्वीर बनकर रह जाएगी।
आज की सुबह: एक नई उम्मीद
इन्हीं चिंताओं के बीच, आज सुबह आगरा ने एक नई शुरुआत की। यमुना आरती स्थल पर रिवर कनेक्ट कैंपेन और आगरा नगर निगम के संयुक्त तत्वावधान में एक वृहद सफाई अभियान चलाया गया। यह सिर्फ एक प्रतीकात्मक पहल नहीं थी — यह यमुना की पीड़ा को समझने, और उसे दूर करने का एक जमीनी प्रयास था।
सैकड़ों स्कूली बच्चे, स्वयंसेवक, सामाजिक कार्यकर्ता और आम नागरिक — सभी ने हाथों में झाड़ू, टोकरी और कचरा थैले लिए यमुना की तलहटी की गंदगी हटाने में अपनी पूरी शक्ति लगा दी। नगर निगम के सफाईकर्मी और अधिकारी भी इस मुहिम में कंधे से कंधा मिलाकर साथ चले। कोई किनारे की सिल्ट निकाल रहा था, कोई पॉलीथिन और प्लास्टिक को हटाने में लगा था।
नेतृत्व और नागरिक भागीदारी
इस ऐतिहासिक अभियान का नेतृत्व मंडलायुक्त, नगर आयुक्त अंकित खंडेलवाल, और सहायक नगरायुक्त अशोक गौतम ने किया। रिवर कनेक्ट कैंपेन के मार्गदर्शकों — ब्रज खंडेलवाल, श्रीमती पद्मिनी, डॉ. शम्मी कालरा, पवन गुप्ता, राकेश गुप्ता, और अन्य सामाजिक कार्यकर्ताओं के समर्पण ने इस अभियान को जनांदोलन का रूप दिया।
क्षेत्रीय पार्षद अनुराग चतुर्वेदी की सक्रिय भागीदारी ने स्थानीय नेतृत्व की प्रतिबद्धता को दर्शाया। इंडिया राइजिंग जैसी संस्थाएं और स्कूलों के बच्चों ने यमुना को फिर से जीवन देने का बीड़ा उठाया।
बदलाव की बुनियाद
एक ही दिन में करीब 25 ट्रैक्टर कचरा नदी किनारे से हटाया गया। बच्चों के चेहरे पर संतोष की मुस्कान और बड़ों की आंखों में उम्मीद की चमक थी — यह सिर्फ सफाई नहीं, एक नई चेतना का जन्म था। यह साबित करता है कि यदि इच्छा हो, तो यमुना की किस्मत बदली जा सकती है।
पीरियॉडिक डिसिल्टिंग: यमुना को पुनर्जीवन देने की कुंजी
अभियान के दौरान रिवर कनेक्ट के संयोजक ब्रज खंडेलवाल ने नगर आयुक्त को यमुना किनारे बनाए गए एक कुंड का निरीक्षण कराया, जिसमें साफ पानी उपलब्ध था। यह दर्शाता है कि स्थायी कुंडों, डिसिल्टिंग और पीरियॉडिक क्लीनिंग जैसे उपाय यमुना के पुनर्जीवन में अहम भूमिका निभा सकते हैं।
नगर आयुक्त ने बताया कि नालों पर ऑटोमैटिक मैकेनिकल बैरियर्स लगाए जा रहे हैं और नए सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स (STP) की योजना पर कार्य शुरू हो चुका है। लेकिन यह भी स्पष्ट किया कि जब तक गंदे जल के स्रोत बंद नहीं होते, तब तक सफाई के प्रयास सीमित रहेंगे।
सामूहिक संकल्प
महंत पं. जुगल किशोर ने कहा कि “अगर हम हर महीने एक बार भी ऐसी सामूहिक सफाई करें, तो यमुना को जीवित रखने की राह आसान हो सकती है।” रिवर कनेक्ट कैंपेन की ओर से एक सार्थक प्रस्ताव भी रखा गया कि अंतरराष्ट्रीय योग दिवस (21 जून) का आयोजन यमुना तलहटी में किया जाए। यह न सिर्फ स्वच्छता को समर्थन देगा, बल्कि नदी से जनभावनाओं को भी जोड़ेगा।
डॉ. देवाशीष भट्टाचार्य ने एक गहरी बात कही: “यमुना सिर्फ जलधारा नहीं, यह हमारी संस्कृति, जीवन और चेतना का स्रोत है। इसे बचाना सिर्फ सरकारी जिम्मेदारी नहीं — यह हर नागरिक का नैतिक दायित्व है।” रिवर कनेक्ट कैंपेन सभी जागरूक नागरिकों, स्कूली बच्चों, स्वयंसेवकों, नगर निगम के कर्मियों और अधिकारियों को इस अभियान में सक्रिय भागीदारी के लिए हार्दिक धन्यवाद देता है। आप सभी ने यह साबित किया है कि जब इरादा हो, तो बदलाव मुमकिन है।
अब ज़रूरत है इस ऊर्जा को बनाए रखने की। हम सब मिलकर अगर हर महीने या हर तीज-त्योहार पर यमुना की सफाई को एक परंपरा बना दें, तो यमुना फिर से आगरा की धड़कन बन सकती है। यमुना को पुनर्जन्म दें — न केवल उसकी धारा को, बल्कि हमारी संवेदना को भी। क्योंकि जब यमुना बचेगी, तभी आगरा बचेगा।
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