मुंबई, महाराष्ट्र: शुक्रवार, 6 जून 2025, शाम।
भारतीय क्रिकेट के महान सलामी बल्लेबाजों में शुमार रोहित शर्मा ने इंग्लैंड दौरे से पहले टेस्ट क्रिकेट को अलविदा कहने का अपना फैसला सुनाकर क्रिकेट जगत को चौंका दिया था। बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी के बाद भले ही उनकी फॉर्म खराब रही थी, लेकिन उन्होंने रणजी ट्रॉफी खेलकर टेस्ट में बने रहने की इच्छा जाहिर की थी। ऐसे में, पिछले महीने अचानक आए उनके संन्यास के फैसले ने न सिर्फ करोड़ों प्रशंसकों को निराश किया, बल्कि उनके अपने परिवार पर भी गहरा भावनात्मक प्रभाव डाला। अब, रोहित ने पहली बार इस फैसले पर अपने पिता की प्रतिक्रिया को लेकर एक भावुक कर देने वाली कहानी साझा की है।
पिता का अटूट प्रेम टेस्ट क्रिकेट के लिए: मुंबई में चेतेश्वर पुजारा की पत्नी पूजा पुजारा की किताब ‘द डायरी ऑफ ए क्रिकेटर्स वाइफ’ के विमोचन के दौरान बातचीत करते हुए रोहित ने यह मार्मिक खुलासा किया। उन्होंने बताया कि उनके पिता टेस्ट क्रिकेट के कट्टर प्रशंसक रहे हैं, और उन्हें ‘नए जमाने का क्रिकेट’ (यानी सीमित ओवरों का प्रारूप) कभी पसंद नहीं आया। रोहित ने अपने पिता के त्याग और समर्पण को याद करते हुए कहा कि उनके पिता ने एक ट्रांसपोर्ट कंपनी में काम करते हुए उनके जीवन को संवारने के लिए कई कुर्बानियां दी हैं।
रोहित ने एक घटना का जिक्र करते हुए बताया, “मुझे आज भी याद है कि जिस दिन मैंने वनडे में 264 रन (वनडे क्रिकेट का सर्वोच्च व्यक्तिगत स्कोर) बनाए थे, मेरे पिता की ओर से बस यही प्रतिक्रिया आई कि- ‘ठीक है, अच्छा ही खेला। बहुत खूब।’ उनके चेहरे पर कोई खास उत्तेजना नहीं थी। उन्होंने कहा, ‘वहाँ (मैदान पर) जाना महत्वपूर्ण है और यही सब बातें कहीं।’ इसके विपरीत, जब भी मैं टेस्ट में 30, 40, 50 या 60 रन बना लेता था, तो वह मुझे इस बारे में हमेशा विस्तार से बात करते थे। टेस्ट के प्रति उनका इस तरह का गहरा प्यार था।”
संन्यास पर पिता की निराशा और फिर स्वीकार्यता: रोहित ने अपनी यात्रा का जिक्र करते हुए कहा कि उनके पिता ने उन्हें स्कूल क्रिकेट से लेकर अंडर-19, रणजी ट्रॉफी, दिलीप ट्रॉफी, ईरानी ट्रॉफी और इंडिया ए तक, हर कदम पर आगे बढ़ते देखा था। उन्होंने बताया कि “यह सब खेलके मैंने भारतीय टीम में जगह बनाई। जाहिर है मेरे पिता ने मुझे लाल गेंद से खेलते हुए देखा है। इसलिए वह लाल गेंद के क्रिकेट की बहुत सराहना करते हैं।”
यही वजह थी कि जब रोहित ने पिछले महीने, 7 मई को अपने सोशल मीडिया हैंडल (इंस्टाग्राम पर टेस्ट कैप की तस्वीर साझा करते हुए) से टेस्ट क्रिकेट से संन्यास की घोषणा की, तो उनके पिता शुरू में काफी निराश और नाराज हुए। यह उनके लिए एक व्यक्तिगत झटका था, क्योंकि उन्होंने रोहित को इस फॉर्मेट में आगे बढ़ते देखा था। हालांकि, रोहित ने बताया कि कुछ समय बाद उनके पिता शांत हुए और उन्होंने अपने बेटे के फैसले का समर्थन किया, जिससे वे खुश भी हुए। रोहित ने भावुक होते हुए कहा, “वह मेरे पिता हैं और मैं आज जहां भी हूं, उन्होंने स्पष्ट रूप से एक बड़ी भूमिका निभाई है। उनकी मदद के बिना, यह कभी संभव नहीं होता।” यह बयान उनके पिता के अटूट समर्थन और उनके करियर में निभाई गई भूमिका को दर्शाता है।
रोहित का टेस्ट करियर: एक शानदार सफर: हालांकि, रोहित शर्मा का टेस्ट करियर शानदार रहा। उन्होंने 67 टेस्ट मुकाबलों में 40.57 के औसत से 4301 रन बनाए। उनके नाम 12 शतक और 18 अर्धशतक दर्ज हैं। उन्होंने 2023 में भारत को विश्व टेस्ट चैंपियनशिप (डब्ल्यूटीसी) के फाइनल में भी पहुंचाया था, हालांकि यह खिताब राष्ट्रीय टीम से दूर रह गया था। रोहित शर्मा ने अपने संन्यास के एलान में स्पष्ट किया था कि वह वनडे प्रारूप में भारत के लिए खेलना जारी रखेंगे, जिससे उनके प्रशंसक अभी भी उन्हें नीली जर्सी में एक्शन में देख पाएंगे। उनके इस भावुक खुलासे ने दिखा दिया कि क्रिकेटरों के बड़े फैसलों के पीछे सिर्फ पेशेवर कारण ही नहीं, बल्कि गहरे व्यक्तिगत और पारिवारिक संबंध भी होते हैं।