आगरा, उत्तर प्रदेश: बुधवार, 4 जून 2025, शाम 7:00 बजे।
फतेहपुर सीकरी के कद्दावर सांसद और भारतीय जनता पार्टी (BJP) के किसान मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजकुमार चाहर ने आज आगरा जिला जेल पहुंचकर एक बड़ा सियासी और सामाजिक संदेश दिया है। उन्होंने पनवारी कांड में सजा काट रहे चाहरवाटी क्षेत्र के अकोला गांव के 34 बुजुर्गों से मुलाकात की। यह मुलाकात न केवल भावनात्मक थी, बल्कि कानूनी रूप से भी महत्वपूर्ण मानी जा रही है, क्योंकि सांसद चाहर ने इन सभी उम्रदराज़ दोषियों को हाईकोर्ट में दमदार पैरवी का स्पष्ट भरोसा दिलाया है, जिससे 35 साल से लंबित न्याय की आस एक बार फिर जग उठी है।
सांसद चाहर का जेल दौरा, 28 मई को जिला न्यायालय द्वारा सजा का फैसला सुरक्षित रखे जाने के बाद उनकी दूसरी मुलाकात थी, जो इस मामले में उनकी निरंतर सक्रियता और प्रतिबद्धता को दर्शाता है। जेल के भीतर, चाहर ने एक-एक कर सभी बुजुर्गों से बातचीत की, उनकी कुशलक्षेम पूछी और उन्हें हर संभव कानूनी व सामाजिक मदद का आश्वासन दिया। इस दौरान, बुजुर्गों के चेहरों पर सांसद की उपस्थिति से थोड़ी राहत और उम्मीद की किरण साफ दिखाई दे रही थी, क्योंकि वे लंबे समय से न्याय की प्रतीक्षा कर रहे थे।

पूर्व की ‘प्रभावी पैरवी’ की कमी पर तीखी टिप्पणी:
जेल में सजायाफ्ता बुजुर्गों से मुलाकात के बाद बाहर आते हुए, सांसद राजकुमार चाहर ने मीडिया से बात करते हुए न्यायालय के फैसले का सम्मान करने की बात कही। हालांकि, उन्होंने दबे शब्दों में इस बात पर भी जोर दिया कि “सब जानते हैं कि इस घटना के लिए कौन जिम्मेदार हैं और उन्होंने उस समय प्रभावी और तथ्यात्मक पैरोकारी नहीं की।” चाहर ने उन लोगों पर सीधा टिप्पणी करने से परहेज किया, जिन्होंने कथित तौर पर अपनी जिम्मेदारी नहीं निभाई, लेकिन उनके बयान में अतीत की कानूनी चूक की ओर स्पष्ट इशारा था। उन्होंने दो टूक कहा कि जिला न्यायालय के निर्णय को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी जाएगी और इस चुनौती के लिए बड़े वकीलों की जिम्मेदारी उन्होंने स्वयं ली है। सांसद ने अपनी प्राथमिकता बताते हुए कहा कि उनकी पहली कोशिश फिलहाल सभी बुजुर्गों की जल्द से जल्द जमानत कराने की है, ताकि वे इस बढ़ती उम्र में जेल से बाहर आकर अपने परिवार के साथ रह सकें।
जेल से उठी सामूहिक अपील और 35 साल की उपेक्षा का दर्द:
मुलाकात के दौरान, जेल में बंद समाज के इन बुजुर्ग सदस्यों ने भी सांसद चाहर के समक्ष सर्वसम्मति से अपनी पीड़ा व्यक्त की और हाईकोर्ट में अपील कर जल्द से जल्द जमानत और प्रभावी पैरवी की मांग की। उनकी बातों में 35 साल की लंबी कानूनी लड़ाई और इस दौरान मिली उपेक्षा का गहरा दर्द साफ झलक रहा था। सांसद चाहर ने भी इस भावना को प्रतिध्वनित करते हुए कहा कि “पहले कुछ लोगों की जिम्मेदारी थी लेकिन उन्होंने अपनी जिम्मेदारी नहीं निभाई और 35 साल से अकोला चाहरवाटी के लोगों की ओर से किसी ने पलटकर देखा तक नहीं।” यह बयान इस मामले के लंबे और उपेक्षित इतिहास को दर्शाता है, जहाँ इन बुजुर्गों और उनके परिवारों को दशकों तक न्याय और उचित प्रतिनिधित्व के लिए संघर्ष करना पड़ा है। पनवारी कांड चाहरवाटी क्षेत्र का एक पुराना और संवेदनशील मामला रहा है, जिसने दशकों तक स्थानीय आबादी के जीवन को प्रभावित किया है।
चाहरवाटी में खुशी की लहर और राजनीतिक संदेश:
सांसद चाहर के इस आश्वासन के बाद, चाहरवाटी क्षेत्र, विशेषकर अकोला गांव में खुशी की एक लहर दौड़ गई है। स्थानीय निवासियों और परिवारों को उम्मीद है कि अब उनके बुजुर्गों को न्याय मिल पाएगा। सांसद का यह कदम न केवल उनके निर्वाचन क्षेत्र के लोगों के प्रति उनकी गहरी प्रतिबद्धता को दर्शाता है, बल्कि यह भी साबित करता है कि वे अपने क्षेत्र के सबसे संवेदनशील मुद्दों को गंभीरता से लेते हैं। राजकुमार चाहर की इस पहल को राजनीतिक गलियारों में भी एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है, क्योंकि यह एक ऐसे मामले में सीधा हस्तक्षेप है जो दशकों से अनसुलझा था और स्थानीय समुदाय के लिए एक बड़ी पीड़ा का कारण बना हुआ था। यह देखना बाकी है कि हाईकोर्ट में उनकी यह “दमदार पैरवी” इन 34 बुजुर्गों के लिए कितनी राहत ला पाती है।