आगरा, उत्तर प्रदेश: बुधवार, 4 जून 2025, दोपहर 12:30 बजे।
आगरा के राजामंडी क्षेत्र में एक दशक पूर्व हुए हेमनदास हत्याकांड में न्याय की लंबी प्रतीक्षा आज समाप्त हो गई। अपर सत्र न्यायाधीश एवं विशेष न्यायाधीश (एससी-एसटी) पुष्कर उपाध्याय की अदालत ने इस बहुचर्चित मामले में फैसला सुनाते हुए तीनों सगे भाईयों – प्रांजल, चेतन और प्रवीन (पुत्रगण स्व. राजू, निवासी गली मंशादेवी, राजामंडी) को आजीवन कारावास की कठोर सजा सुनाई है। इस फैसले से राजामंडी व्यापार मंडल के तत्कालीन अध्यक्ष हेमनदास की दिनदहाड़े हुई हत्या के मामले में पीड़ित परिवार और समूचे व्यापारी वर्ग को आखिरकार न्याय मिला है।
कोर्ट ने मुख्य आरोपियों को आजीवन कारावास के साथ ही 50 हजार रुपये के अर्थदंड से भी दंडित किया है। आदेश में स्पष्ट किया गया है कि यदि अभियुक्त अर्थदंड का भुगतान नहीं करते हैं, तो उन्हें दो माह का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा। इसके अतिरिक्त, न्यायालय ने तीनों अभियुक्तों को इसी मुकदमे में भारतीय दंड संहिता की धारा 504 (शांति भंग करने के इरादे से जानबूझकर अपमान करना) के तहत दो वर्ष के कारावास और पांच हजार रुपये जुर्माने की सजा भी सुनाई है। वहीं, धारा 506 (आपराधिक धमकी) के अपराध के लिए भी उन्हें दो वर्ष के कारावास और पांच हजार रुपये अर्थदंड की सजा दी गई है। इन अतिरिक्त अर्थदंडों का भुगतान न करने पर उन्हें प्रत्येक धारा के लिए 15 दिन की अतिरिक्त कारावास सजा भुगतनी होगी।
सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता हेमंत दीक्षित ने इस मामले की विस्तृत जानकारी देते हुए बताया कि यह दिल दहला देने वाली घटना आज से लगभग 10 साल पहले, 28 नवंबर 2014 को हुई थी। अपर सत्र न्यायाधीश ने पिछले सप्ताह ही तीनों अभियुक्तों को हेमनदास हत्याकांड में दोषी ठहराया था और सजा सुनाने के लिए 4 जून की तारीख मुकर्रर की थी, जिसका आज बेसब्री से इंतजार किया जा रहा था।
बदले की आग और वर्षों पुराना विवाद:
इस हत्याकांड का मूल एक वर्षों पुराना मुकदमेबाजी का विवाद था, जो मृतक हेमनदास के परिवार और आरोपित भाइयों के बीच चल रहा था। वादी सुशील (पुत्र हेमनदास, निवासी आलोक नगर, जयपुर हाउस) ने लोहामंडी थाने में दर्ज कराई अपनी रिपोर्ट में बताया था कि उनके पिता हेमनदास राजामंडी बाजार के एक सम्मानित व्यापारी और व्यापार मंडल के अध्यक्ष थे। विवाद इतना गहरा था कि वर्ष 2009 में, आरोपित प्रांजल ने सुशील के बड़े भाई हरीश पर तमंचे से गोली चला दी थी, जिसके आरोप में प्रांजल को जेल भी जाना पड़ा था। जेल से छूटने के बाद भी प्रांजल और उसके भाई लगातार हेमनदास और उनके परिवार को धमकियां दे रहे थे, जिससे तनाव लगातार बढ़ रहा था।
दिनदहाड़े हत्याकांड और सनसनी:
28 नवंबर 2014 को सुबह का समय था, जब हेमनदास अपने स्कूटर से अपनी दुकान की ओर जा रहे थे। गोविंद नगर इलाके में, शाबिर की दुकान के पास, उन्हें अचानक एक मोटरसाइकिल पर आए तीनों आरोपित भाइयों प्रांजल, चेतन और प्रवीन ने रोक लिया। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, तीनों ने हेमनदास को धमकाना शुरू कर दिया। विवाद के चरम पर पहुंचते ही, प्रांजल ने अपने पास मौजूद तमंचे से हेमनदास के ऊपर गोली चला दी। गोली लगते ही हेमनदास वहीं सड़क पर गिर पड़े। उन्हें तत्काल अस्पताल ले जाया गया, लेकिन गंभीर चोटों के कारण उन्होंने रास्ते में ही दम तोड़ दिया। इस दिनदहाड़े हुए हत्याकांड ने उस समय पूरे आगरा के व्यापारिक क्षेत्र में सनसनी फैला दी थी। व्यापारी वर्ग में भारी आक्रोश था और उन्होंने न्याय के लिए बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन भी किए थे, जिससे यह मामला सुर्खियों में आ गया था।
कानूनी प्रक्रिया और न्याय का प्रतिफल:
शासकीय अधिवक्ता हेमंत दीक्षित ने बताया कि इस हत्याकांड में थाना लोहामंडी में धारा 302 (हत्या), 34 (सामान्य आशय), 504 (इरादतन अपमान) और 506 (आपराधिक धमकी) के तहत मामला दर्ज करने के बाद गहन जांच की गई थी। पुख्ता सबूतों के आधार पर आरोप पत्र न्यायालय में पेश किया गया। अदालत ने आज अपने आदेश में यह भी निर्देश दिया है कि अभियुक्तों से प्राप्त अर्थदंड की धनराशि का आधा भाग मृतक हेमनदास की पत्नी अथवा उनके विधिक उत्तराधिकारी को प्रतिकर (मुआवजे) के रूप में दिया जाए, जिससे पीड़ित परिवार को कुछ आर्थिक सहायता मिल सके।
फिलहाल, मुख्य अभियुक्त प्रांजल इस समय कन्नौज जेल में बंद है, और उसकी सजा का अधिपत्र तैयार कर कन्नौज जेल में भेजा जा रहा है। वहीं, उसके दोनों भाईयों चेतन और प्रवीन को सजा भुगतने के लिए आगरा जिला कारागार भेज दिया गया है। इस फैसले ने एक दशक से चले आ रहे इस हाई-प्रोफाइल मामले पर पूर्ण विराम लगा दिया है और न्यायपालिका में जनता के विश्वास को एक बार फिर मजबूत किया है।