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सरोजिनी नायडू मेडिकल कॉलेज में दो दिवसीय ‘विश्व तंबाकू निषेध दिवस’ जागरूकता कार्यक्रम: 100 से अधिक मरीज़ हुए लाभान्वित

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May 31, 2025 | 10:20 AM. आगरा, उत्तर प्रदेश।

सरोजिनी नायडू मेडिकल कॉलेज (SNMC), आगरा में 30 और 31 मई 2025 को विश्व तंबाकू निषेध दिवस के उपलक्ष्य में दो दिवसीय जनजागरूकता कार्यक्रम का सफल आयोजन किया गया। इस पहल का मुख्य उद्देश्य तंबाकू सेवन से होने वाले गंभीर स्वास्थ्य खतरों के बारे में जागरूकता बढ़ाना और लोगों को इससे मुक्ति के लिए प्रेरित करना था।

कार्यक्रम के पहले दिन (30 मई) की गतिविधियाँ मनोचिकित्सा विभाग के तत्वावधान में आयोजित की गईं, जिसमें 100 से अधिक मरीज़ों और उनके तीमारदारों ने सक्रिय रूप से भाग लिया। इस अवसर पर तंबाकू सेवन से होने वाले दुष्परिणामों, उससे जुड़ी मानसिक और शारीरिक बीमारियों, तथा उससे मुक्ति के उपायों पर विस्तृत जानकारी साझा की गई। कार्यक्रम का संचालन विभागाध्यक्ष प्रो. डॉ. विशाल सिन्हा के कुशल मार्गदर्शन में संपन्न हुआ। इसमें डॉ. अशुतोष कुमार (सह-आचार्य), डॉ. कश्यपी गर्ग (सहायक आचार्य) एवं समुदाय चिकित्सा विभाग की प्रो. डॉ. वर्तिका ने प्रमुख भूमिका निभाई।

तंबाकू की लत: सिर्फ शारीरिक नहीं, मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी खतरा

मनोचिकित्सा विभाग ने बताया कि कॉलेज में संचालित “तंबाकू निषेध क्लिनिक” में निःशुल्क परामर्श और उपचार की सुविधा उपलब्ध है। यहाँ फार्माकोथेरेपी, मोटिवेशन एनहांसमेंट थेरेपी, और संक्षिप्त मनोचिकित्सा (Brief Psychotherapy) जैसी आधुनिक विधियों से इलाज किया जाता है।

डॉ. कश्यपी गर्ग ने अपने वक्तव्य में जोर दिया कि तंबाकू सेवन से व्यक्ति सिर्फ कैंसर या हृदय रोग जैसी शारीरिक समस्याओं से ही नहीं जूझता, बल्कि यह मानसिक स्वास्थ्य को भी गंभीर रूप से प्रभावित करता है। उन्होंने विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के आंकड़ों का हवाला देते हुए बताया कि भारत में हर वर्ष लगभग 13 लाख लोगों की मृत्यु तंबाकू से संबंधित बीमारियों के कारण होती है, जो अत्यंत चिंताजनक स्थिति है।

डॉ. अशुतोष कुमार ने स्पष्ट किया कि तंबाकू की लत केवल एक बुरी आदत नहीं, बल्कि एक उपचार योग्य मानसिक और व्यवहारिक विकार है, जिसका सही समय पर परामर्श और उपचार से इलाज संभव है। उन्होंने ग्लोबल एडल्ट टोबैको सर्वे (GATS) के आंकड़ों का भी उल्लेख किया, जिसके अनुसार भारत में लगभग 28% वयस्क आबादी किसी न किसी रूप में तंबाकू का सेवन करती है। उन्होंने विशेष रूप से युवाओं में गुटखा, सिगरेट, बीड़ी और अब इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट (वेपिंग) के तेजी से बढ़ते प्रचलन पर चिंता व्यक्त की।

नुक्कड़ नाटक और चिकित्सकों का विशेष योगदान

इस जागरूकता कार्यक्रम के दौरान, MBBS इंटर्न्स द्वारा प्रस्तुत एक नुक्कड़ नाटक ने दर्शकों पर गहरा प्रभाव डाला। नाटक के माध्यम से यह प्रभावी संदेश दिया गया कि सिगरेट का सेवन केवल स्वयं को ही नहीं, बल्कि अपने परिवारजनों और आस-पास के लोगों को भी नुकसान पहुंचाता है – यह शारीरिक, मानसिक और सामाजिक दृष्टिकोण से अत्यंत हानिकारक है।

इस सफल जागरूकता कार्यक्रम को आयोजित करने में मनोचिकित्सा विभाग के चिकित्सकों और रेजिडेंट्स का विशेष योगदान रहा। इनमें डॉ. रघुवीर (सीनियर रेजिडेंट), डॉ. अंजनेय, डॉ. प्रियांका, डॉ. नियति, डॉ. अंकुर, डॉ. विशाखा, डॉ. खिन्या राम, डॉ. सूरज और डॉ. नगमा (जूनियर रेजिडेंट्स) शामिल थे। साथ ही, समुदाय चिकित्सा विभाग के रेजिडेंट्स और MBBS इंटर्न्स ने भी कार्यक्रम में सक्रिय सहभागिता निभाई।

प्रधानाचार्य का संदेश: ‘स्वस्थ और नशा-मुक्त समाज की ओर’

प्रधानाचार्य डॉ. प्रशांत गुप्ता ने इस आयोजन के उद्देश्य पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इसका लक्ष्य तंबाकू सेवन से उत्पन्न खतरों को उजागर करना और समाज को यह सकारात्मक संदेश देना है कि “जागरूकता, समुचित परामर्श एवं दृढ़ इच्छाशक्ति के माध्यम से एक नशा-मुक्त, स्वस्थ एवं मानसिक रूप से संतुलित समाज की दिशा में सार्थक पहल की जा सकती है।” उन्होंने यह भी बताया कि मेडिकल कॉलेज में परामर्श की समुचित व्यवस्था है, जिससे तंबाकू की लत छोड़ने में लोगों को लाभ मिलेगा।

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