आगरा: फतेहाबाद रोड स्थित शंकर ग्रीन सोसायटी के निवासी इन दिनों खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं। जिस डीडीए मेंटीनेंस सर्विस एजेंसी को सोसायटी के रखरखाव का जिम्मा सौंपा गया था, वह लगभग ₹40 लाख का एडवांस लेकर फरार हो गई है। नतीजतन, सोसायटी को अब अपनी मेंटेनेंस की जिम्मेदारी खुद ही उठानी पड़ेगी।
शंकर ग्रीन सोसायटी में रखरखाव को लेकर लंबे समय से चला आ रहा विवाद बुधवार को एक नए मोड़ पर आ गया। डीडीए नाम की यह मेंटेनेंस कंपनी फर्जी पते और गलत परिचय के साथ सोसायटी में आई थी। इस कंपनी ने सोसायटी का पिछले दो महीने का रीचार्ज का पैसा, जो लगभग ₹40 लाख है, लिया और फिर अचानक गायब हो गई। इस सर्विस एजेंसी को अमित कुमार जैसवाल नामक व्यक्ति चला रहा था।

डीडीए द्वारा किए गए भ्रष्टाचार और लापरवाही के कारण सोसायटी में रहने वाले करीब 250 परिवारों का जीवन संकट में था। एजेंसी की घटिया सफाई व्यवस्था, लिफ्टों में आए दिन होने वाले हादसे और निम्न स्तरीय सुरक्षा व्यवस्था ने निवासियों की चिंताएं बढ़ा दी थीं।
बुधवार को, शंकर ग्रीन सोसायटी ने डीडीए के मैनेजर से सभी सेवाएँ अपने अधीन ले लीं। अब सोसायटी अपने रखरखाव और अन्य सभी व्यवस्थाओं को खुद ही संभालेगी। डीडीए के मैनेजर द्वारा RWA (रेजिडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन) 2025-26 का चार्ज भी सोसायटी को सौंप दिया गया। इस दौरान सोसायटी की अध्यक्ष मनीषा सिंह चौहान, उपाध्यक्ष वीरेंद्र गुप्ता, सचिव संजीव वर्मा, कोषाध्यक्ष मनोज कुमार गुप्ता, संयुक्त सचिव खेमचंद वजनानी और कार्यकारिणी सदस्य पवन अग्रवाल, संजय गुप्ता, संजीव सिंघल, अंकित अग्रवाल सहित मोहित गुप्ता, संदीप उपाध्याय, हरदीप मिड्ढा, राजेश मगन, मनमोहन लांबा, अनिल कटियाल, नीलम, मधु अरोड़ा, अरुण गुप्ता, रिया गर्ग, बाला गुप्ता, लक्ष्मी खंडेलवाल, मनीषा गुप्ता, रीता सिंह, लीना, रीता अग्रवाल, राकेश भास्कर, धर्मेंद्र आनंद और अन्य निवासी बड़ी संख्या में मौजूद रहे। यह घटना मेंटेनेंस कंपनियों के चयन में अधिक सावधानी बरतने की आवश्यकता को उजागर करती है।