नई दिल्ली: भ्रष्टाचार विरोधी संस्था लोकपाल ने भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) की पूर्व प्रमुख माधबी पुरी बुच को बड़ी राहत दी है। लोकपाल ने हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट के आधार पर माधबी पुरी बुच के खिलाफ दायर की गई शिकायतों को खारिज करते हुए उन पर लगे आरोपों को ‘अप्रमाणित और तुच्छ’ करार दिया है। लोकपाल ने स्पष्ट किया कि ये आरोप बिना किसी सत्यापन योग्य सबूत के केवल अनुमानों पर आधारित थे और इस मामले में किसी भी आगे की जांच की आवश्यकता नहीं है
हिंडनबर्ग रिपोर्ट और आरोपों का आधार
लोकपाल ने बुधवार को जारी अपने बयान में कहा कि माधबी पुरी बुच के खिलाफ पिछले साल दर्ज की गई सभी शिकायतें मूल रूप से एक शॉर्ट-सेलर ट्रेडर की रिपोर्ट पर आधारित थीं। इस रिपोर्ट का मुख्य उद्देश्य कथित तौर पर अदाणी समूह को बेनकाब करना या उसे घेरना था।
गौरतलब है कि 10 अगस्त, 2024 को प्रकाशित अपनी रिपोर्ट में, हिंडनबर्ग रिसर्च ने आरोप लगाया था कि माधबी पुरी बुच और उनके पति ने कुछ विदेशी फंड्स में हिस्सेदारी रखी थी। ये फंड्स कथित तौर पर अदाणी समूह के खिलाफ चल रही धनशोधन (मनी लॉन्ड्रिंग) की जांच से जुड़े थे। हालांकि, बुच और उनके पति ने इन आरोपों को शुरू से ही खारिज करते हुए इन्हें अपनी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने का एक दुर्भावनापूर्ण प्रयास बताया था।
महुआ मोइत्रा और अन्य द्वारा शिकायतें
पूर्व सेबी प्रमुख के खिलाफ यह शिकायतें तृणमूल कांग्रेस (TMC) की सांसद महुआ मोइत्रा ने बीते साल 13 सितंबर को लोकपाल के पास दर्ज कराई थी। मोइत्रा ने अपनी शिकायत में इस मामले की प्रारंभिक जांच के लिए प्रवर्तन निदेशालय (ED) या केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) को सौंपने की मांग भी की थी। महुआ मोइत्रा के अलावा कुछ अन्य व्यक्तियों ने भी इस मामले में माधबी पुरी बुच के खिलाफ शिकायतें दर्ज कराई थीं। लोकपाल के इस फैसले से इन सभी शिकायतों का निपटारा हो गया है, और माधबी पुरी बुच अब इन आरोपों से पूरी तरह मुक्त हो गई हैं।