लखनऊ: राजधानी लखनऊ में किसान पथ पर चलती एक स्लीपर बस (UP 17 AT 6372) में लगी भीषण आग ने 5 यात्रियों की जान ले ली। इस दर्दनाक हादसे के बाद हुई प्रारंभिक जांच रिपोर्ट ने कई गंभीर खामियों और सुरक्षा मानकों की अनदेखी को उजागर किया है, जिन्होंने मिलकर इस बस को ‘मौत का जाल’ बना दिया था।
इमरजेंसी गेट बेकार, यात्री सिलेंडर ले जा रहे थे: हादसे की चौंकाने वाली वजहें
आरटीओ प्रवर्तन संदीप कुमार पंकज और मोटर व्हीकल इंस्पेक्टर (MVI) विष्णु कुमार द्वारा तैयार की गई 21 बिंदुओं की जांच रिपोर्ट परिवहन आयुक्त को सौंप दी गई है। रिपोर्ट में सामने आई कुछ सबसे बड़ी लापरवाहियां ये हैं:
– **अग्निशमन यंत्र नदारद:** बस में आग बुझाने के लिए एक भी फायर एक्सटिंग्विशर मौजूद नहीं था।
– **यात्रियों के साथ सिलेंडर:** चौंकाने वाली बात यह है कि कुछ यात्री अपने साथ छोटे गैस सिलेंडर लेकर यात्रा कर रहे थे, जिन्होंने आग की लपटों को और भीषण बना दिया।
– **बाधित इमरजेंसी गेट:** बस का इमरजेंसी गेट बेकार हो चुका था और उस तक पहुंचने के रास्ते में अतिरिक्त सीटें लगा दी गई थीं, जिससे आपात स्थिति में यात्रियों का बाहर निकलना असंभव था।
– **घटिया इंटीरियर मटेरियल:** बस के अंदरूनी हिस्से में सस्ते और ज्वलनशील कपड़े के पर्दे और अन्य मटेरियल का इस्तेमाल किया गया था। अग्निरोधी सामग्री की जगह ज्वलनशील सामान लगा था, जिससे आग तेजी से फैली।
– **खराब वायरिंग और संकरा रास्ता:** बस की वायरिंग में भी घटिया तारों का इस्तेमाल हुआ था, जिससे शॉर्ट सर्किट का खतरा बना हुआ था। इसके अलावा, बस के अंदर आने-जाने का रास्ता (गैंगवे) मानकों से काफी संकरा था, जिससे अफरा-तफरी के माहौल में यात्रियों को निकलने में भारी परेशानी हुई।
– **सुरक्षा सेंसर गायब:** बस के पहियों में तापमान सेंसर जैसे महत्वपूर्ण सुरक्षा उपकरण नहीं लगे थे, जो ड्राइवर को संभावित जोखिम की जानकारी देते हैं।
कागजों में ‘फिटनेस’, असल में ‘खामियों का अंबार’
जांच में एक और हैरान करने वाला तथ्य सामने आया है। कागजों में यह बस पूरी तरह ‘फिट’ थी। बस के परमिट, फिटनेस सर्टिफिकेट (जो 7 अप्रैल 2026 तक वैध था), प्रदूषण प्रमाणपत्र और बीमा सभी दस्तावेज दुरुस्त पाए गए। बस का टैक्स भी 31 मई 2025 तक जमा था और 10 से 16 मई के लिए इसे विशेष परमिट भी मिला हुआ था। पिछले दो सालों में बस का एक भी चालान नहीं हुआ था। यह दर्शाता है कि कागजी कार्यवाही पूरी होने के बावजूद, जमीनी हकीकत सुरक्षा के मामले में बेहद खराब थी।
बस में सवार यात्रियों की संख्या पर भी फिलहाल संशय बना हुआ है। परिवहन विभाग के अनुसार, यह 52 सीटर बस थी और इसमें 46 यात्री सवार थे, जबकि डीसीपी लखनऊ दक्षिण ने बस में 70 से अधिक यात्रियों के होने की बात कही है।
यह रिपोर्ट साफ करती है कि कैसे एक बस में कई स्तरों पर हुई लापरवाही और सुरक्षा नियमों की अनदेखी ने मिलकर एक भीषण दुर्घटना को जन्म दिया, जिसमें बेकसूर यात्रियों को अपनी जान गंवानी पड़ी। इस मामले में जिम्मेदार लोगों पर कड़ी कार्रवाई की उम्मीद है।