दोहा। भारत और पाकिस्तान के बीच हुए संघर्ष विराम (सीजफायर) में अपनी भूमिका को लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के बयान में पांच दिन के भीतर ही बड़ा बदलाव आया है। कतर के दोहा में अमेरिकी सैनिकों को संबोधित करते हुए ट्रम्प ने अपने उस पिछले दावे से यू-टर्न ले लिया जिसमें उन्होंने कहा था कि उन्होंने दोनों देशों के बीच मध्यस्थता कराई है। अब उन्होंने कहा है कि उन्होंने केवल ‘मदद’ की थी।
कतर से दिया नया बयान: मैंने सिर्फ मदद की
गुरुवार को कतर के दोहा में अल उदीद एयर बेस पर अमेरिकी सैनिकों से बात करते हुए राष्ट्रपति ट्रम्प ने स्पष्ट किया कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच ‘मध्यस्थता नहीं कराई’, बल्कि उन्होंने ‘मदद की’। उन्होंने कहा, “मैं ये नहीं कहता कि ये मैंने किया, लेकिन ये पक्का है कि पिछले हफ्ते भारत-पाकिस्तान के बीच जो हुआ, मैंने उसे सेटल करने में मदद की।” ट्रम्प के अनुसार, “भारत-पाकिस्तान के बीच और भी भयावह हमले हो सकते थे। दोनों देशों ने अचानक मिसाइल दागनी शुरू कर दी, लेकिन हमने सब सेटल कर दिया।” उन्होंने यह भी जिक्र किया कि उन्होंने दोनों देशों से युद्ध के बजाय व्यापार करने की बात कही।
10 मई का दावा: अमेरिका की मध्यस्थता से हुआ युद्धविराम
यह बयान 10 मई को ट्रम्प द्वारा किए गए एलान के ठीक उलट है। उस समय उन्होंने व्हाइट हाउस में कहा था, “मुझे यह एलान करते हुए खुशी हो रही है कि अमेरिका की मध्यस्थता में एक लंबी बातचीत के बाद भारत और पाकिस्तान पूर्ण और तत्काल युद्धविराम पर सहमत हो गए हैं। दोनों देशों को समझदारी दिखाने के लिए बधाई।” उनके इस बयान को अमेरिका द्वारा सीजफायर का सीधा श्रेय लेने के रूप में देखा गया था।
बयान में ‘मध्यस्थता’ से ‘मदद’ तक का सफर
10 मई के बाद और 15 मई के बयान के बीच भी ट्रम्प ने कई बार भारत-पाकिस्तान सीजफायर पर टिप्पणी की थी, जिनमें उनके दावे थोड़े अलग रहे। उन्होंने 11 मई को कहा था कि वह कश्मीर मुद्दे का हल निकालने की कोशिश करेंगे, 12 मई को दावा किया था कि उन्होंने भारत-पाकिस्तान के बीच होने वाली परमाणु जंग रोक दी और 13 मई को कहा कि उन्होंने सीजफायर के लिए काफी हद तक बिजनेस का इस्तेमाल किया। गुरुवार के बयान में, जहां उन्होंने ‘मध्यस्थता’ शब्द से किनारा किया, वहीं उन्होंने ‘मदद करने’ और ‘सेटल करने’ की बात दोहराई, जो पिछले बयानों से थोड़ी नरम भाषा प्रतीत होती है। उनका यह ताजा बयान, जहां उन्होंने दोनों देशों के बीच लंबे समय से चल रहे संघर्ष और स्थिति के ‘नियंत्रण से बाहर होने’ की संभावना का जिक्र किया, पिछले दावों की तुलना में उनकी भूमिका को कम प्रत्यक्ष रूप से दिखाता है।