Agra, उत्तर प्रदेश: रविवार, 8 जून 2025, 4:45 AM।
ठाकुर बांकेबिहारी मंदिर, वृंदावन के गोस्वामी सेवायत अब प्रस्तावित कॉरिडोर के विरोध में व्यापक समर्थन जुटाने के लिए वृंदावन से बाहर निकल पड़े हैं। उन्होंने नंदगाँव और बरसाना के गोस्वामियों का समर्थन प्राप्त किया है। इस विरोध को और तेज करने के लिए जल्द ही ब्रज विप्र समाज की एक बड़ी पंचायत वृंदावन में बुलाई जाएगी, जिसके फैसले इस मुद्दे पर महत्वपूर्ण हो सकते हैं।
अस्तित्व के खतरे को लेकर चेताया
बीती देर रात बांके बिहारी मंदिर के सेवायत आनंद बल्लभ गोस्वामी के नेतृत्व में एक दस सदस्यीय प्रतिनिधि मंडल नंदगांव के नंदबाबा मंदिर पहुँचा। एकादशी के पर्व पर मंदिर में चल रही बरसाना व नंदगांव के गोस्वामियों की काव्य गोष्ठी में उन्होंने कहा कि इस समय ब्रज के ब्राह्मणों का अस्तित्व खतरे में है।
आनंद बल्लभ गोस्वामी ने चेतावनी दी कि यदि इस न्यास (कॉरिडोर से संबंधित ट्रस्ट/अथॉरिटी) का विरोध नहीं किया गया, तो आने वाले समय में मथुरा, गोवर्धन, बरसाना, नंदगांव, गोकुल, महावन और बलदेव के मंदिरों का भी अधिग्रहण “पैसे की लोभी सरकार” कर लेगी। उन्होंने इस पुरजोर विरोध के लिए सभी को एक साथ आने का आह्वान किया।
जल्द होगी ब्रज के ब्राह्मणों की महापंचायत
श्री गोस्वामी ने घोषणा की कि ब्रज के सभी ब्राह्मणों की एक जनसभा बांके बिहारी मंदिर पर होगी, जिसकी तारीख जल्द ही बता दी जाएगी। उन्होंने बरसाना और नंदगांव से अधिक से अधिक संख्या में गोस्वामी और ब्राह्मणों से इस महापंचायत में पहुँचने का आग्रह किया।
इस बैठक में नंद बाबा मंदिर के सेवायत ताराचंद गोस्वामी, सामलिया गोस्वामी, बच्चू गोस्वामी, नितन गोस्वामी, राजू गोस्वामी, देव गोस्वामी, माही गोस्वामी, संतु गोस्वामी सहित बरसाना और नंदगांव के कई प्रमुख गोस्वामी और ब्राह्मण उपस्थित थे।
जनप्रतिनिधियों के प्रति दिखी नाराजगी
बरसाना मंदिर के सेवायत भगवान दास गोस्वामी ने जनप्रतिनिधियों के प्रति नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि उन्हें विधायक और सांसद से काफी उम्मीद थी, लेकिन उन्होंने भी इस मामले का विरोध नहीं किया। उन्होंने स्पष्ट किया कि ब्रज के ब्राह्मण सरकार के अधिकारियों द्वारा बनाए गए न्यास को कतई स्वीकार नहीं करेंगे।
भगवान दास गोस्वामी ने कहा कि उन्हें कॉरिडोर का विरोध नहीं है, लेकिन न्यास किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं होगा। उन्होंने सवाल उठाया कि जब सरकार मंदिरों को ब्राह्मणों से ले लेगी, तो ब्राह्मण कहाँ जाएँगे और उनकी दूसरी रोजी-रोटी क्या होगी। यह मुद्दा ब्रज के ब्राह्मणों और सेवायतों के लिए उनके अधिकारों और परंपराओं से जुड़ा एक बड़ा संघर्ष बनता जा रहा है।